
फूल देई पर्व का दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में लोकगायक नरेंद्र सिह नेगी ने किया शुभारम्भ
देहरादून 15 मार्च, 2025। फूलदेई पर्व के आयोजन की शुरूआत शनिवार को दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में मुख्य अतिथि लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी द्वारा किया गया उन्होंने जहां बच्चों को तीज त्योहार और परंपरा को जानने और इसे आगे बढ़ाने का माध्यम बताया वहीं चित्रकला प्रतियोगिता में उकृष्ट प्रदर्शन करने वाले विजेताओं को पुरस्कृत भी किया। प्रकृति पर्व को बच्चों की सृजनात्मक पहल से जोड़ने की दिशा में इस कार्यक्रम को ‘धाद’ संस्था ने आयोजित किया.
शनिवार को दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में हिम ज्योति स्कूल, रैफल होम, एन मेरी, सेंट जोजेफ्स एकेडमी, सेंट थॉमस कॉलेज, दून इंटरनेशनल स्कूल, ज्ञानंदा समेत 12 से अधिक स्कूलों के 70 छात्र-छात्राओं ने दून पुस्तकालय की देहरी पर फूल डाले।
कार्यक्रम संयोजक कल्पना बहुगुणा एवं मेघा के निर्देशन में बच्चों ने चित्रकला प्रतियोगिता में प्रकृति का संदेश और लोकपर्व फूलदेई पर आधारित चित्र बनाकर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया। छात्रों ने चित्रकला, कविता के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। साथ ही इस महीने में पर्यावरण के प्रति अन्य लोगों को भी जागरूक करने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र का प्रमुख त्योहार मनाने का संकल्प लेने वाली धाद संस्था का कार्य सराहनीय रहा है। यह ऐसा त्याेहार है, जिसे बच्चे मनाते हैं। बच्चों को भी फूल की उपमा दी गई है। जिस तरह बच्चों का जीवन खिलता है उसी तरह इस मौसम में फूल भी खिलते हैं। आज हमने पहाड़ की जमीन भले ही छोड़ दी हो लेकिन, अपनी परम्परा, त्योहार नहीं छोड़े। इन्हें जीवित रखें और उन्हें आगे बढ़ते रहें। यह कार्य बच्चे बेहतर कर सकते हैं। आजकल के बच्चों पर पढ़ाई का बोझ अधिक रहता है लेकिन, इसमें से कुछ समय अपने लोकपर्व लिए देंगे तो पहाड़ की परंपरा जीवित रहेगी। इस दौरान उन्होंने सारी डांड्यों मां भी फ्यूंली फ्यूंली गीत सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध किया।
दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने फूलदेई का सांस्कृतिक पक्ष बताया। उन्होंने कहा कि हम प्राकृतिक के बीच में रहते हैं। प्रकृति भी हमारे जीवन के साथ जुड़ी है। बच्चों का निर्मल मन फूलों को देहरी में डालकर हमें आशीर्वाद देते हैं। उन्होंने बच्चों को भी पौधे लगाने को प्रेरित किया। साथ ही फ्यूंली की कथा के बारे में बताया। कहा कि पुस्तकालय में बीते आठ महीने से बाल अनुभाग में होने वाले कार्यक्रम में बच्चे उत्साह दिखाते हैं।
मांगल डॉट कॉम के विजय भट्ट ने कहा कि पिताजी आर्मी में थे इसलिए ज्यादातर उत्तराखंड से बाहर ही रहे। पिछले 15 वर्षों के वापस उत्तराखंड आकर अपनी संस्कृति के लिए काम करने का प्रयास किया है। कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से आत्मीयता मिलती है। कोना कक्षा के मुख्य संयोजक गणेश उनियाल ने एक माह तक चलने वाले अभियान की रूपरेखा रखी। अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष दुर्गेश नौटियाल ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए सभी से उत्तराखंड के तीज त्यौहारों और संस्कृति के लिए बढ चढ कर काम करने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन शुभम शर्मा ने किया। शांति बिंजोला और सुनीता बहुगुणा ने ढोल दमाऊ के साथ फुलारियों का साथ दिया। इस मौके पर साकेत रावत, बृजमोहन उनियाल, डॉ विद्या सिंह, कमला कठैत, बबीता जोशी, देवेंद्र कांडपाल, नरेंद्र रावत, हिमांशु आहूजा, आशा पैनुली, वीरेंद्र खंडूरी, नीना रावत अनिमेष, राजीव पांथरी आदि मौजूद रहे।
कार्यक्रम के दौरान स्कूली छात्र-छात्राओं ने नृत्य, गीत, कविता के जरिए अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया। हिम ज्योति स्कूल की छात्राओं ने वंदना, ओजस्वी देशमुख ने कविता, वैष्णवी ने नृत्य, वारेनियम ने गीत और नृत्य से सभी की मंत्रमुग्ध किया।
धाद के सचिव तन्मय ममगाईं ने बताया कि उत्तराखंड के 10 हजार बच्चों के साथ फूलदेई मनाने का लक्ष्य है। इसके तहत विभिन्न स्कूलों में जाकर रचनात्मक प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। कहा कि कहीं न कहीं हमारे जीवन के साथ प्रकृति जुड़ी है। इसलिए इसकी महत्ता को समझना भी जरूरी है। बच्चों को अपनी परंपरा लोकपर्व के प्रति जागरूक करेंगे तो आने वाले समय में हमारे लोकपर्व और भी भव्य रूप से मनाएं जाएंगे।
कार्यक्रम के समापन पर चित्रकला प्रतियोगिता के परिणाम जारी हुए। जिसमें टाप 10 स्कूलों के प्रतिभागियों को विजेता के रूप में चिह्नित किया गया। काव्या जोशी एन मेरी स्कूल, साक्षी कार्की व आरुषि हिम ज्योति स्कूल, अपर्णा सेमवाल दून इंटरनेशनल स्कूल, धानवी ग्राफिक ऐरा ग्लोबल स्कूल, अर्तिका राव माउंट लिटरा जी स्कूल, तिया रेनला जमेर ग्रेस एकेडमी व सागरिका ज्ञानंदा स्कूल विजेता रहे। मुख्य अतिथि लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया।