कस्तूरबा गांधी वलियम्मा मुदलियर पुण्यतिथि

कस्तूरबा गांधी वलियम्मा मुदलियर पुण्यतिथि

आज दून लाईब्रेरी व रिसर्च सेन्टर में कस्तूरबा गांधी-वलियम्मा मुदलियर की पुण्यतिथि पर स्मरण सभा और कबीर व सूफी गायन” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम, हिन्द स्वराज मच” तथा “दून लाईब्रेरी व रिसचे सैन्टर” द्वारा संयुक्त तौर पर दून लाइब्रेरी के सभागार में किया गया।

सभा में हिन्द स्वराज मंच के अजय कुमार जोशी ने कस्तूरबा और वलियम्मा के जीवन पर रौशनी डालते हुए उन्हें देश की आजादी के आंदोलन में अग्रज महिलाओं में गिनते हुए उनके योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वास्तव में गांधीजी को मोहनदास से महात्मा बनाने में कस्तूरबा की अहम भूमिका रही। गांधीजी जिन्हें अहिंसा के पुजारी कहा जाता है, स्वयं उनका कहना था कि उन्होने अहिंसा, कस्तूरबा से ही सीखी ‘भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कस्तूरबा की गिरफतारी हुई और पूना के आगा खान महल जहां उन्हें कारावास में रखा गया था, वहां 22 फरवरी 1944 को उनकी मृत्यु हुई और अंतिम संस्कार भी वही हुआ। दूसरी ओर, वलियम्मा के माता पिता मुलत तमिलनाडू के थे जो गिरमिटिया के तौर पर दक्षिण अफ्रीका ले जाए गये थे और मजदूरी व सब्जी की रेडी लगा कर जीवनयापन करते थे। वलियम्मा का जन्म वही हुआ था। वहां 1913 के आंदोलन में भारतीय महिलाएं पहली बार सहकों पर उतरी थीं और जिनमें कस्तूरबा व वलियम्मा दोनो को दो दर्जन अन्य महिलाओं के साथ सीन महीने का कारावास हुआ था। वलियम्मा बीमार रहने लगी थी. लेकिन फिर भी जेल से अपनी रिहाई के लिए उसने माफीनामा लिखना मना कर दिया था अपनी रिहाई के एक हफ्ते के अंदर ही 22 फरवरी 1914 को उसका देहान्त हो गया। वही दिन उसका सोलहवां जन्मदिन भी था।

पूरण बर्तवाल ने हिन्द स्वराज मंच का परिचय देते हुए बताया कि उसकी स्थापना गाधी विचार व उनकी किताब हिन्द स्वराज से प्रेरित कुछ हम-विचार लोगों द्वारा हुई है। हिन्द स्वराज को गांधी के अदभुत चितन व दूरदृष्टि का उदाहरण मानते हुए उन्होंने कहा, 1909 में लिखी इस पुस्तिका में गांधीजी उन सभी सवालों व खतरों को 112 साल पहले कभी भाप लिया था जो आज हमारे सामने खड़े हैं।

उसके बाद उत्तराखण्ड के ही रहमत-ए-नुसरत” युवा संगीत टोली ने कबीर मीरा व अन्य सूफी गायन एक बेहतरीन समा बांधा। श्रोताओं ने इसे खूब सराहा।हल्द्वानी निवासी सर्वजीत टम्टा व उनके साथियों ने पिछले 10 सालों पूरे प्रदेश में सूफी व कव्वाली गायकी को एक नया आयाम दिया है।
इसअवसर पर दून लाइब्रेरी एन्ड रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष श्री सुरजीत किशोर दास, साहित्यकार राजेश सकलानी, दिनेश जोशी, डॉ.अतुल शर्मा, श्रीमती विभापुरी दास,योगम्बर बर्त्वाल, चंद्रशेखर तिवारी, सुंदर सिंह बिष्ट, जगदीश सिंह महर सहित अनेक गांधी वादी, विचारक, युवा सहित अनेक लोग शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन, हिन्द स्वराज मंच के बिजू नेगी ने किया।