लोकतंत्र, मानवाधिकार और समतामूलक समाज संविधान के मूलाधार हैं – सोमवारी लाल उनियाल

लोकतंत्र, मानवाधिकार और समतामूलक समाज संविधान के मूलाधार हैं – सोमवारी लाल उनियाल

देहरादून, 25 सितम्बर, 2024। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज शाम को भारतीय संविधान के फिल्म की श्रंखला के सातवें एपिसोड का प्रदर्शन सभागार में उपस्थित लोगों के मध्य किया गया। उल्लेखनीय है कि  भारतीय संविधान और संवैधानिक मूल्यों पर आधारित इस सुपरिचित फिल्म का निर्देशन श्याम बेनेगल द्वारा  किया गया है।

कार्यक्रम में फिल्म प्रदर्शन से पूर्व अतिथि वक्ता के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार व साहि

त्यकार सोमवारी लाल उनियाल ’प्रदीप’ ने अपना सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। सोमवारी लाल उनियाल ने इस विषय पर बोलते हुए कहा कि भारतीय संविधान के मूलाधार लोकतंत्र, मानवाधिकार और समतामूलक समाज रचना है। संविधान प्रदत्त मौलिक अधकारों में मुख्यतः स्वतंत्रता, समानता और अभिव्यक्ति का अधिकार है। इन अधिकारों को अक्षुण बनाए रखने के लिए लोकसभा, कार्यपालिका और न्यापालिका के अलावा प्रेस के रूप में एक चौथा स्तम्भ भी है जिसको मिलाकर हमारे संविधान ने चौखंबा राज की अवधारणा को परिकल्पित ही नहीं किया बल्कि उसे मूर्तरूप भी दिया है।

उन्हांेने जोर देकर कहा कि आज हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती संवैधानिक आदर्शों के अनुरूप व्यवस्था निर्माण की है। विशेष रूप से मीडिया की आजादी पर प्रश्नचिह्न लगना चिंताजनक है। श्री उनियाल ने आगे यह भी कहा कि कार्यपालिका के क्रियाकलापों को लेकर समय-समय पर सर्वाेच्च न्यायालय की टिप्पणियों से हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को सबक लेने की महत्वपूर्ण जरूरत है।

फिल्म प्रदर्शन के बाद सफ़दर हाशमी के नाटक औरत नाटक का शानदार मंचन किया गया। नाटक में गायत्री टम्टा, मेघा,पंकज, विनीता ऋतुंजया, हिमांशु बिम्सवाल, शेखर डंगवाल, ,अमित, सुधीर,, प्रियांशी, संजना, उपासना, सैयद अली, सतीश धौलाखंडी  व धीरज रावत ने उत्कृष्ट अभिनय किया । इस नाटक के जरिये यह दिखाने का  प्रयास किया गया कि महिलायें आज हर क्षेत्र में आगे हैं फिर भी पुरुष प्रधान समाज उनकी प्रगति में बाधा पैदा करता है। उनकी मानसिक, शारीरिक, नैतिक और बौद्धिक क्षमता समृद्ध होने के बाद भी भी उनकी स्थिति शोचनीय बनी हुई है। उसे क़दम-क़दम पर शोषण और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।उसकी पढने-लिखने और आगे बढ़ने की आकांक्षाओं को भी सीमित किया जाता है। दहेज के लिए भी औरतें प्रताड़ित होती रहती हैं।

कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया। इस कार्यक्रम का संचालन इप्टा के उत्तराखण्ड अध्यक्ष डॉ. वी. के. डोभाल ने किया। इस अवसर पर सुंदर बिष्ट, सहित शहर के अनेक रंगकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, सहित दून पुस्तकालय के कुछ युवा पाठक उपस्थित रहे।