लापता युद्धबन्दियों की खोज पर दमयंती तांबे के साथ बातचीत

लापता युद्धबन्दियों की खोज पर दमयंती तांबे के साथ बातचीत

देहरादून, 11 अगस्त 2024। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र, देहरादून की ओर से आज शाम संस्थान के सभागार में वार विडो एसोसिएशन नई दिल्ली की अध्यक्ष दमयंती विजय तांबे के साथ उनके उल्लेख्नीय जीवन और 54 लापता युद्धबन्दियों की खोज पर एक चर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि सुपरिचित कंसल्टेन्ट श्री जी एस गिल और शिक्षाविद व बैडंिमंटन की कुशल खिलाड़ी पुनीता भूषण विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। इस दौरान पूर्व राज्य सूचना आयुक्त श्री विनोद नौटियाल भी उपस्थित थे। श्रीमती दमयंती तांबे से बातचीत साहित्यकार डॉ. कुसुम नौटियाल ने की। इस दौरन एक लघु वृतचित्र फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।

उल्लेखनीय है कि श्रीमती दमयंती तांबे खेल जगत की महान हस्ती हैं। वह छः बार की राष्टीय बैडमिंटन चौम्पियन हैं। दो बार जुनियर चौम्पियन एक बार मिक्स डबल और दो बार सीनीयर महिला वर्ग में राष्ट्रीय चौम्पियन। साथ ही अर्जुन पुरस्कार विजेता भी हैं। आपने 1965 से 1994 तक इन तीस वर्षों में बैडमिंटन के सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्टीय प्रतिस्पर्धाओं में जैसे एशियन गेम्स, कामनवेल्थ गेम्स, एसएएफ गेम्स, उबर कप बैडमिंटन चौम्पियनशिप, ग्रैंड प्रिक्स और विश्व बैडमिटन चौम्पियनशिप्स में नैशनल टीम की कैप्टेन, टीम की सदस्य, कोच और मैनेजर के रूप भारत का प्रतिनिधित्व किया। 1982 के एशियन गेम्स में दमयंती जी को ऐशियाई खेलों की मशाल प्रज्ज्वलित करने के लिए चुना गया। वर्तमान में दमयंती तांबे जी वीरनारियों के सहयोग के लिए बनी प्रतिष्ठित संस्था वार विडोज एसोसिएशन की अध्यक्षा है। इस संस्था की स्थापना भी स्व मोहिनी गिरि द्वारा 1971 के युद्ध के समय की गई थी।

दमयंती के जीवन का एक हिस्सा उपलब्धियों से भरा हुआ है। वे इलाहाबाद के एक शिक्षित परिवार में जन्मीं। 1968 में आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने फिजिकल एजुकेशन में पोस्टग्रेजुएशन किया 1 1970 में आपका विवाह फलाईट लेफ्टिनेंट विजय तांबे जी से हुआ जो भारतीय वायुसेना के जांबाज पायलेट थे। विवाह के बाद भी दमयंती सूबेदार ने दमयंती तांबे के सरनेम से से एक और राष्ट्रीय चौम्पियनशिप जीती। तीन दिसम्बर 1971 को भारत पाकिस्तान युद्ध छिड़ गया। लेफिटनेंट विजय तांबे जी ने अंबाला एयरबेस से बमवर्शक जहाज से उड़ान भरी। पाकिस्तान पर जबरदस्म बमवर्षा हुई लेकिन एक गोला विजय तांबे जी के जहाज पर लगा। उनका जहाज पाकिस्तानी धरती पर गिरा। पाकिस्तानी सेना ने उन्हें युद्धबंदी बना दिया। विवाह को मात्र 18 महीने हुए थे। दमयंती जी के जीवन की दिशा ही बदल गई। दमयंती जी के जीवन का संघर्ष और कभी हिम्मत न हारने वाली दृढ़ इच्छाशक्ति के परिचय आज हम उनसे होने वाली बातचीत में पाएंगे। हमें गर्व है आपको अपने बीच पाकर।

श्री जी एस गिल तीस वर्षों से अधिक समय तक दिल्ली फरीदाबाद और चण्डीगढ़ में विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी सेवाएं दीं हैं। कुछ समय के लिए आपने व श्रीमती गिल ने मिल कर एक कंसल्टेंसी कम्पनी भी खोली जिसके माध्यम से विद्यार्थियों का उच्चशिक्षा के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों में भेजा। श्री गिल ने 54 मिसिंग पर्सनल्स इन एक्शन मिशन की शुरूआत करके उन 54 युद्धबंदियों की जानकारी जुटाने का बीड़ा उठाया जो भारत पाकिस्तान युद्ध के विभिन्न आपरेशंस में पाकिस्तान में बंदी थे। श्री गिल ने उन युद्धबंदियों के परिवारों की ओर से भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के साथ संपर्क करने आदि में सक्रिय भूमिका निभाई और आज भी निभा रहे हैं।

पुनीता भूषण देहरादून की बेटी हैं। देहरादून के एक प्रतिष्ठित परिवार में जन्मी पुनीता भूषण की शिक्षा कान्वेंट औं जीसस एंड मेरी में हुई। आपने इकॉनामिक्स में मास्टर्स किया औ एकेमिकस और बैडमिंटन दोनों में गोल्ड मेडल जीते। कुछ समय एमकेपी में पढ़ाने के बाद पुनीता जी ने वैल्हमस स्कूल ज्वाईन किया और कॉमर्स विभाग की हेड आफ द डिपार्टमेंट रहीं। बैडमिंटन में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक प्रतियोगिताएं जीतीं और तत्कालीन उत्तरप्रदेश राज्य में पांच साल तक लगातार स्टेट चैम्पियन रहीं। 1994 में आपको इंडिया कलर्स से सम्मनित किया। पुनीता जी देश में गिनीचुनी बैडमिंटन खिलाडियों में से एक हैं जो आज 70 प्लस एज ग्रुप में खेल रहे हैं। 1994 में आपने कांस्यपदक जीता। मिक्स डबल्स में दो गोल्ड मैडल जीते। 2013 में 60 प्लस आयु वर्ग में भी नेशनल चौम्पियनशिप जीती।

कार्यक्रम का संचालन सामाजिक इतिहासकार डॉ. योगेश धस्माना ने किया। कार्यक्रम में बातचीत के बाद लोगों ने सवाल-जबाब भी किये। इस अवसर पर पूर्व सैनिक अधिकारी, सैनिक, युवा पाठक, लेखक, पत्रकार, साहित्यकार, व अन्य प्रबुद्ध लोग उपस्थित रहे।