अंग्रेजी अनुवादों में मलयालम साहित्य पर व्याख्यान
देहरादून, 18 जुलाई, 2024. दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज सायं अंग्रेजी अनुवादों में मलयालम साहित्य विषय पर एक वार्ता का आयोजन किया गया. इस सचित्र वार्ता में अम्मार यासिर नक़वी द्वारा दक्षिण भारतीय साहित्य के भौतिक, मानसिक और काल्पनिक परिदृष्यों के माध्यम से विहंगम दृष्टि रखने की कोशिस की गयी. उन्होंने सवाल किया कि क्या किसी भी समाज और उसके साहित्य के विकास को एक साथ समझा जा सकता है, और क्या साहित्य समाज में बदलाव का उतप्रेरक बन सकता है. उन्होंने अपने वक्तव्य में मलयालम साहित्य में मेरी रुचि कैसे हुई इसका परिचय, क्षेत्रीय भाषाओं के अंग्रेजी में अनुवाद की पहल, स्कूल में क्षेत्रीय साहित्य की भूमिका,केरल का संक्षिप्त इतिहास, प्रारंभिक साहित्य आंदोलन के साथ ही ओ वी विजयन और वैकोम बशीर के कार्य और केरल साहित्य में आधुनिकतावाद एवं उत्तर आधुनिकतावाद पर चर्चा की.
अपनी वार्ता में अम्मार नक़वी ने टी एस पिल्लई, वैकोम बशर, एम टी वासुदेवन नायर, जे देवियाक, के आर मीरा, बेन्यामिन जैसे लेखकों का भी उल्लेख किया.वार्ता के बाद श्रोताओं द्वारा सवाल -जबाब भी किये गए.
वार्ताकार अम्मार नक़वी पेशे से एक अकादमिक अनुवादक,लेखक, इतिहासकार, घुम्मकड़ और एक महत्वाकांक्षी शिक्षाविद हैं. अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय जैसे संगठनों के साथ-साथ अमन प्रकाशन और परिवर्तन प्रकाश जैसे कुछ क्षेत्रीय प्रकाशनों के लिए लेखक, अकादमिक प्रशिक्षक, अनुवादक, शोधकर्ता और संसाधन व्यक्ति के रूप में में काम कर रहे हैं. उन्होंने बंगाल के दूरदराज के हिस्सों में ग्रामीण क्षेत्रीय पुस्तकालयों की स्थापना की।
कार्यक्रम की शुरुआत में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने अतिथियों वक्ता और उपस्थित प्रतिभागी लोगों का स्वागत किया और इस तरह की पहल को साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बताया.कार्यक्रम के समापन पर गांधीवादी विचारक बिजू नेगी ने सभी लोगों के प्रति आभार प्रकट किया.
इस अवसर पर कर्नल अरुण ममगाईं (सेवानिवृत्त ), बिजू नेगी, विवेक तिवारी,श्री आकिफ़ काज़मी, वरिष्ठ पत्रकार,डॉ. राजेश पाल,श्रीमती मीरा अय्यर, शहाब नकवी, निदेशक, साहस फाउंडेशन इनक्लूसिव रिसोर्स सेंटर, सुंदर सिंह बिष्ट, डॉ. मनोज पंजानी, अवतार सिंह, मनीष ओली, राकेश कुमार और विजय यादव सहित युवा पाठक, लेखक, साहित्यकार व अन्य लोग उपस्थित रहे.