
बांगला साहित्य में महिलाओं के संस्मरण व उनकी जीवनी पर बातचीत
देहरादून, 25 फरवरी , 2025। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र, की ओर से आज सायं बांगला साहित्य में महिलाओं के संस्मरण एवं जीवनियाँ विषय पर एक वार्ता का आयोजन किया गया. इस वार्ता में श्री निकोलस हॉफलैण्ड द्वारा युवा अध्येता अम्मार यासिर नक़वी से बातचीत की गई। इस बातचीत में बांगला साहित्य के भौतिक, मानसिक और काल्पनिक भू -भाग की यात्रा के विविध बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की गयी.अम्मार नक़वी ने अपने वक़्तव्य में कहा इस श्रृंखला में मुख्य रूप से बंगाली साहित्य और विशेष रूप से महिलाओं के संस्मरण और आत्मकथाओं पर ध्यान दिया जाएगा। चूंकि बंगाली साहित्य सभी क्षेत्रीय साहित्य में सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला और व्यापक रूप से अनुवादित साहित्य है, इसलिए ऐतिहासिक संदर्भ में इसकी विविधता, औपनिवेशिक काल में बहुभाषी समाज पर इसके प्रभाव और लेखन शैलियों को खोजने का प्रयास किया गया है।
अम्मार ने निकोलस से हुई बातचीत में आगे कहा कि वस्तुतः इस विषय का उद्देश्य बंगाली साहित्य के भीतर शैली के प्रतिनिधि के रूप में चयनित लेखन की पहचान करना ही नहीं है, बल्कि साहित्यिक आंदोलनों के अध्ययन में छोड़े गए अंतराल, अनसुनी आवाज़ों, बड़े राजनीतिक लक्ष्यों की वेदी पर उपेक्षित उप-कथाओं को उजागर करना और हाशिये से आवाज़ों को सामने लाना भी है।
निकोलस के सवाल के जबाब में अम्मार ने आत्मकथा और संस्मरण के आधारभूत तत्व और उनके बीच के अंतर को भी रेखांकित किया। उन्होंने बंगला साहित्य पर भी प्रकाश डाला कि मुख्यतः ये आत्मकथाएँ व्यक्तिगत स्वतंत्रता और उत्थान के साधनों के अलावा समाजशास्त्रीय और ऐतिहासिक ग्रंथों के रूप में भी किस तरह उभरकर आयी हैं।
निकोलस से बातचीत के दौरान अम्मार नक़वी ने रसुनद्री देवी की अमार जीबोन (मेरा जीवन) पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कैसे वह 19वीं सदी की शुरुआत में बंगाल में एक स्व-शिक्षित महिला थी, जो सुधारवादी आंदोलनों से भरी हुई थी, जिन्होंने सुधारवादी विचारों के दायरे में अपना घर (अंदरमहल) भी छोड़ दिया था।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने अतिथियों वक्ता और उपस्थित प्रतिभागी लोगों का स्वागत किया. इस अवसर पर पूर्व प्रमुख सचिव,विभापुरी दास, कर्नल वी के दुग्गल, बिजू नेगी,साहब नक़वी, आलोक कुमार,कल्याण बुटोला, हिमांशु आहूजा, देवेंद्र कांडपाल,कुलभूषण नैथानी, बिजू नेगी, राकेश कुमार,सुंदर सिंह बिष्ट,अरुण सरकार सहित पाठकगण, लेखक, साहित्यकार व अन्य लोग उपस्थित थे।