पुस्तकालय ने आयोजित किया उत्तराखंड की परम्परागत होली गायन का कार्यक्रम।
देहरादून , 6 मार्च,2023। दून पुस्तकालय एवम् शोध केन्द्र की ओर से आज पर्वतीय होली गायन पर आधारित ‘होली के लोक रंग‘ नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम लैन्सडाउन चौक स्थित दून पुस्तकालय के सभागार में अपराहन 3:30 से 5:00 बजे तक आयोजित हुआ। आम होली गायकों की सामूहिक सहभागिता से इस कार्यक्रम में उत्तराखण्ड की परम्परागत ‘खड़ी‘, ‘बैठी तथा महिला होली गीतों की कई बेहतरीन प्रस्तुतियां दी गईं। कार्यकम का शुभारम्भ साहित्यकार और कुमाउनी संस्कृतिविद श्रीमती भारती पाण्डे और उनकी टीम ने विघ्नहर्ता श्रीगणेश पर आधारित होली गीत तुम सिद्धि करो महराज होली के दिनन में प्रस्तुत करके किया। इसके बाद श्री मुकुल पंत और उनकी साथ जितेन्द्र मिश्रा, जीवन जोशी, हरिनंदन जोशी, दिनेश पंत, दिनेश जोशी और श्री भट्ट ने शास्त्रीय रागों पर आधारित कुमाउनी बैठी होली गीतों की प्रस्तुति देकर सभा में रंगत बिखेर दी। सभागार में उपस्थित श्रोताओं के सम्मुख जैसे कई होली गीत सुनाकर मुकुल पंत और उनकी टीम ने खूब वाहवाही लूटी। वहीं सुपरिचित कुमाउनी संस्कृतिविद श्रीमती भारती पाण्डे ने अपनी महिला गायक साथियों बीना जोशी, रमा जोशी, कमला पंत, बीना भट्ट और पूनम पंत के साथ एक से बढ़कर एक होली गीतों की प्रस्तुति दी। विशेषकर भोले नाथ दिगम्बर, कन्हैया घर चलो… केसरी रंग भिजावन री… जैसे गीत सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया सुपरिचित लोग गायिका श्रीमती रेखा उनियाल धस्माना ने खोलो किवाड़ चलो मठ भीतर– होली गाकर सभागार का माहौल होलीमय कर दिया। अपनी सुमधुर आवाज से श्रोताओं को एक से बढ़कर एक होलियां सुनायीं। वरिष्ठ रंगकर्मी और लेखक ज्योतिष घिल्डियाल व श्री अजय जोशी ने भी रस भरी बैठी होलियों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं का मन मोहा।।
बीच – बीच में वक्ताओं ने प्रदेश की सांस्कृतिक व साहित्यिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में किया गया यह प्रयास निश्चित ही महत्वपूर्ण है। सांस्कृतिक जागरुकता लाने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन के प्रयास निरन्तर चलते रहने चाहिए अपनी गायन शैली और अनेक सामाजिक विशेषताओं के चलते कुमाऊं अंचल में प्रचलित होली अपने आप में खास महत्व रखती है।
इस कार्यक्रम में दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी, संस्कृतिविद डॉ. योगेश धस्माना एवं वरिष्ठ रंगकर्मी ज्योतिष घिल्डियाल ने उत्तारखण्ड में प्रचलित परम्परागत होली के इतिहास स्वरुप प्रस्तुति तथा इसके सामाजिक व लोक कल्याण की विशेषताओं पर समग्र प्रकाश भी डाला।
कार्यक्रम के अन्त में सभी होली गायकों को दून पुस्तकालय की ओर से प्रतीक चिन्ह भेंट किये गये। चन्द्रशेखर तिवारी ने आमंत्रित अतिथियों, कलाकारों व श्रोताओं के प्रति धन्यवाद दिया और संचालन डॉ. योगेश धस्माना ने किया। कार्यक्रम के दौरान अनेक संस्कृति कर्मी, पुस्तकालय सदस्य बुद्धिजीवी, संस्कृति व साहित्य प्रेमी, गणमान्य व्यक्ति तथा साहित्यकार सहित दून पुस्तकालय एवम् शोध केन्द्र के लोग और अनेक युवा पाठक उपस्थित रहे।