
‘कोंचेर्टो’ पर वीडियो लेक्चर का आयोजन
दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से संस्थान के सभागार में गुरूवार, दिनांक 30 नवम्बर, 2023 को पाश्चात्य एवं हिन्दुस्तानी संगीत श्रंखला के अंतर्गत संगीत व फिल्मों के जानकार श्री निकोलस हाॅफलैण्ड द्वारा अपराह्न 4:00 बजे ‘कोंचेर्टो’ क्या है ? इस विषय पर एक महत्वपूर्ण वीडियोलेक्चर दिया गया। ‘कोंचेर्टो’ से सम्बंधित जानकारी हासिल करने की दृष्टि से यह लेक्चरअपने में विशिष्ट था।
श्री निकोलस ने बताया कि यह पश्चिमी और पुराने गानों का एक मिश्रित अस्थायी संगीत का ढांचा होता है । इसमें तीन मुख्य मूवमेंट्स होते हैं तीव्र , फिर मद्धम फिर तीव्र । कोंचेट्रो के विभिन्न संगीतकारों सहित एक चर्चित संगीतकार बाख का उदाहरण देते हुए बताया कि ये पश्चिमी संगीत इतिहास के महान व प्रभावशाली संगीतकारों में से एक थे। बाख के संगीत से रूबरू कराते हुए उन्होंने जानकारी दी कि बाख ने संगीत प्रेमियों व संगीतकारों को गहराई से प्रभावित कर, कोंचेट्रो को उच्च स्तर पर उत्कृष्टता और पूर्णता तक पहुंचाया। इस संगीत की गुणवत्ता के कारण, पेशेवर संगीतकार उन्हें महान पश्चिमी संगीतकारों में से एक मानते हैं।
उन्होंने सदियों से चले आ रहे कोंचेट्रो को बेहतरीन संगीत समारोहों में प्रस्तुत करने, उसे जानने-समझने और उसका आनंद महसूस करने की एक विशिष्ट विधा बताया। उन्होंने यह भी बताया कि 60 के दशक में यह विधा भारत में आयी। नए संगीतकारों में ए आर रहमान, जुबिन नौटियाल जैसे कई लोगों ने संगीत में इसका प्रयोग किया है।
अपने व्याख्यान के माध्यम से उन्होंने वीडियो क्लिप के माध्यम से बेहतरीन तरीक़े से प्रस्तुत कर उसकी खासियतों व रूपों के बारे में उपस्थित लोगों को सहज रूप से जानकारी देने का प्रयास किया। उल्लेखनीय है कि दून पुस्तकालय एवम शोध केंद्र द्वारा समय-समय पर गीत-संगीत की तमाम विषयों और उनकी विविध श्रेणियों से रू-ब-रू कराने के प्रयास लगातार किये जा रहे हैं।
आज के कार्यक्रम के दौरान रामचरण जुयाल, चंद्रशेखर तिवारी, बिजू नेगी, जगदीश बाबला, विनोद सकलानी, सुंदर सिंह बिष्ट, देव मिश्रा, नैंसी रावत,विजय बहादुर, शिव जोशी ,एस के रावत,डॉ.मनोज पँजानी सहित संगीत और कला में रूचि रखने वाले प्रबुद्वजन, पुस्तकालय के युवा पाठक, साहित्यकार व अनेक लोग उपस्थित रहे।