कन्नड़ साहित्य के परिदृश्य पर बातचीत

कन्नड़ साहित्य के परिदृश्य पर बातचीत

देहरादून, 26 अक्टूबर , 2024। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज सायं गिरीश कर्नाड से विवेक शानबाग तक नाटक, कविता और गद्य :आधुनिक कन्नड़ साहित्य में सामयिक प्रवृति विषय पर एक बातचीत का आयोजन किया गया. इस बातचीत में निकोलस हॉफलैण्ड द्वारा भाषा पर अध्ययन कर रहे अम्मार यासिर नक़वी से महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई।

दक्षिणी भाषा की अंतिम कड़ी पर आज कन्नड़ भाषा और उसके साहित्य के इतिहास के संक्षिप्त परिचय से शुरुआत हुई की कैसे आधुनिक साहित्य धार्मिक आंदोलनों और मौखिक परंपराओं के अपने समृद्ध अतीत से प्रभावित हुआ और कैसे समकालीन साहित्य को एक आकार दिया.

विभिन्न साहित्यिक आंदोलनों का उल्लेख करते हुए बातचीत नौसेना आंदोलन और इसके दो प्रमुख समर्थकों गोपाल कृष्ण और यूआर अनंत मूर्ति के कविता व गद्य पर गहराई से बात की गयी.

नव काल के लेखकों के लेखन और आधुनिक कन्नड़ साहित्य के निर्माताओं के रूप में उनकी भूमिका है पर भी चर्चा की गयी. इसके अलावा भारतीपुरा जैसे कई उपन्यासों और लघु कथाओं से उनके लेखन का विकास और मौखिक परंपरा का उपयोग, मुद्रित साहित्य व मौखिक परंपराओं पर संतुलन पर भी सवाल किये गए.

एके रामानुजन ने कन्नड़ लोक परंपराओं को विश्व मंच पर कैसे पहुँचाया, वीर शैव की कविता के अनुवाद में उनके योगदान और उनकी कविता पर भी प्रकाश डाला गया ।

इस बातचीत के अंत में दो महत्वपूर्ण लेखकों गिरीश कर्नाड और विवेक शानबाग के लेखन के विविध बिंदुओं को भी उजागर किया गया.इस बातचीत में अनेक दिलचस्प प्रसंग भी उभर कर सामने आये ।

कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने अतिथियों वक्ता और उपस्थित प्रतिभागी लोगों का स्वागत किया. इस अवसर पर विजय भट्ट, शैलेन्द्र नौटियाल, सुंदर सिंह बिष्ट, विजय शंकर शुक्ला, कुलभूषण व डॉ.वी के डोभाल सहित कुछ पाठकगण, लेखक व अन्य लोग उपस्थित थे।