‘सीमांत लोक की कहानियाँ’ का लोकार्पण व विमर्श

‘सीमांत लोक की कहानियाँ’ का लोकार्पण व विमर्श

देहरादून,शनिवार 15. फरवरी 2025. दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज सायं कथाकार मुकेश नौटियाल के नवीनतम कहानी संग्रह “सीमांत लोक की कहानियां” का विधिवत लोकार्पण केंद्र के सभागार में किया गया । लोकार्पण के बाद इन कहानियों पर साहित्यकारों ने विमर्श भी किया. काव्यांश प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस कथा संग्रह में कहानीकार की विगत तीन दशकों में लिखी 24 कहानियां संकलित हैं।

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार जितेन ठाकुर ने कहा कि मुकेश नौटियाल की कहानियां पर्वत प्रांतर के विश्वासों और परंपराओं से उपजती हैं। इन कहानियों में वह हिमालय के तमाम बिंबों को समेटते हुए एक मायावी और अनूठा संसार रचते हैं और विद्यासागर नौटियाल, शैलेश मटियानी, शेखर जोशी और शिवानी की परंपरा को आगे बढ़ाते नज़र आते हैं।

“उत्तरांचल” पत्रिका के संपादक और लेखक सोमवारी लाल उनियाल “प्रदीप” ने कहा कि तेज़ी से बदलते समय में समाज में पुरानी मान्यताएं, विश्वास और मूल्य त्वरित गति से बदल रहे हैं। ऐसे में लेखकों,कवियों और साहित्यकारों का दायित्व है कि वे समय को अपनी रचनाओं में दर्ज करें, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी जड़ों की शिनाख्त कर सकें।

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संस्कृतिकर्मी और साहित्यकार डॉ. नंदकिशोर हटवाल ने मुकेश नौटियाल को लोक में प्रचलित मान्यताओं और समाज के संत्रास को विश्वसनीयता से व्यक्त करने वाला कथाकार बताते हुए कहा कि उनकी कहानियां पढ़ते हुए दरअसल हम हिमालयी समाज से सीधा साक्षात्कार कर रहे होते हैं। रूम टू रीड की राज्य प्रबंधक पुष्पलता रावत ने मुकेश नौटियाल की उन कहानियों की चर्चा की जो विभिन्न पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जा रही हैं।

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि कथाकार मुकेश नौटियाल का यह संकलन अतीत से जुड़ी कहानियों का एक अद्भुत कोलाज है। कथाकर की यह कहानियां मानवीय संवेदनाओं व प्रकृति संरक्षण से युक्त हैं जो बच्चों की जिज्ञासा बढ़ाने के साथ ही उनके सवालों का समाधान भी खोजती हैं.

अपने संबोधन में कथाकार मुकेश नौटियाल ने अपनी रचना-प्रक्रिया को बताते हुए कहा कि उनकी कहानियों में दर्ज घटनाएं और चरित्र वस्तुत उनके अपने परिवेश से ही उपजते हैं। उन्होंने कहा कि प्रभावशाली लेखन के लिए वृहद अध्ययन ज़रूरी है।

काव्यांश प्रकाशन के प्रबोध उनियाल ने इस पुस्तक को युवा पाठकों के लिए पठनीय बताते हुए कहा कि साहित्य के संस्कार विकसित करने के लिए सरल और सहज प्रकृति की ऐसी ही कहानियों की आज सबसे ज्यादा आवश्यकता है।

कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार बीना बेंजवाल ने किया. इस अवसर पर मोहन चौहान, मनोहर पंवार ‘मनु’, विजय भट्ट,, कमला पन्त,योगेंद्र सिंह नेगी, शूरवीर सिंह रावत, चंदन सिंह नेगी, शशिभूषण बडोनी, प्रेम साहिल, सत्यभूषण बडोनी, शैलेन्द्र नौटियाल, डॉली डबराल, संजय कोठियाल, समदर्शी बड़थ्वाल, दिनेश चंद्र जोशी, सुरेन्द्र सिंह सजवाण, मनीष ओली, डॉ.सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी, आलोक सरीन, हर्ष मनी भट्ट,सुंदर सिंह बिष्ट सहित शहर के अनेक लेखक, साहित्यकार, पुस्तकालय प्रेमी और पुस्तकालय के पाठक आदि उपस्थित रहे ।