अभय रुस्तम सोपोरी के संतूर वादन ने संगीत प्रमियों का मोह लिया मन

अभय रुस्तम सोपोरी के संतूर वादन ने संगीत प्रमियों का मोह लिया मन

देहरादून,15 मई। स्पिक मैके और दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से आज पुस्तकालय के सभागार में अभय रुस्तम सोपोरी द्वारा हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संतूर वादन का कार्यक्रम किया गया। दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के साहित्य, कला, संगीत, वृत्तचित्र फिल्म, इतिहास व सामाजिक विज्ञान पर केन्द्रित कार्यक्रमों की श्रंृखला में संगीत कला का यह कार्यक्रम खास रहा। अभय रुस्तम सोपोरी के विशिष्ट अंदाज में किये गये संतूर वादन का सभागार में उपस्थित श्रोताओं ने खूब आनंद उठाया। संतूर वादन में में चंचल सिंह ने तबला और ऋषि शंकर उपाध्याय ने पखावज पर शानदार संगत की।
अभय रुस्तम सोपोरी एक प्रतिष्ठित संतूर वादक और संगीतकार हैं। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायन के अलावा, उन्होंने सूफी और लोक संगीत समूहों और आर्केस्ट्रा की रचना और संचालन किया। वह काशमी के सोपोरी सूफियाना घराने की समृद्ध संगीत विरासत को आगे बढ़ाते हैं – जो भारत का एक पारंपरिक संतूर परिवार है, जिसका संगीत इतिहास 300 से अधिक वर्षों में 10 पीढ़ियों तक विस्तृत है। कश्मीर में जन्मे अभय रुस्तम सोपोरी ने पारंपरिक गुरु-शिष्य परंपरा के तहत अपने दादा पंडित शंभू नाथ सोपोरी और पिता पंडित भजन सोपोरी जो एक बड़े संतूर विशेषज्ञ व संगीतकार रहे उनसे संगीत सीखा। अभय सोपोरी संगीत में स्नातकोत्तर के साथ प्रबंधन और कंप्यूटर में स्नातक हैं। उन्होंने 1990 के दशक के मध्य में एक संतूर वादक के रूप में अपना संगीत करियर शुरू किया और तब से विश्व भर के प्रतिष्ठित समारोहों में भाग लिया। मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय (यूएसए) में सबसे कम उम्र के विजिटिंग फैकल्टी और सेंट्रल कंजर्वेटरी ऑफ म्यूजिक (चीन) में अतिथि प्रोफेसर के रूप में उनकी संगीत के माध्यम से युवाओं को साथ लाने और संगीत पारखी लोगों की एक नई पीढ़ी तैयार करने में बड़ी भूमिका है। वह उभरते और प्रतिभाशाली संगीतकारों को भी प्रोत्साहित करते रहते हैं।
उन्हें बेहद कम उम्र में कई पुरस्कार प्राप्त होने का सौभाग्य मिला है। आपको संयुक्त राष्ट्र का महात्मा गांधी सेवा पदक – गांधी वैश्विक शांति पुरस्कार, 2020, ऑल इंडिया रेडियो द्वारा टॉप ग्रेड आर्टिस्ट पदक 2019, अटल शिखर सम्मान, 2017, डॉ. एस. राधाकृष्णन राष्ट्रीय पुरस्कार, 2017, भारतीय चुनाव आयोग द्वारा जम्मू-कश्मीर स्टेट आइकॉन खिताब, 2016, प्राइड ऑफ इंडिया अवॉर्ड, 2015, संगीत मणि अवॉर्ड, 2014, इंडियन फाइन आर्ट्स सोसाइटी अवॉर्ड, 2013 (किंगडम ऑफ बहरीन) , जम्मू-कश्मीर का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, 2011, भारत के सर्वश्रेष्ठ नागरिक पुरस्कार, 2010, भारत शिरोमणि पुरस्कार, 2009 और संगीत नाटक अकादमी का पहला उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार, 2006 आदि मिल चुके हैं।
चंचल सिंह एक उभरते हुए तबला वादक हैं इन्होंने शास्त्रीय और सुगम संगीत दोनों में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। तबले पर महारत हासिल करने के अलावा, इन्हें दुनिया भर के विभिन्न जातीय ताल वाद्ययंत्रों पर भी मजबूत पकड़ है। इन्होंने अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण जम्मू में विशाल सिंह से प्राप्त किया और अब सचिन शर्मा से सीख रहे हैं। इसके अतिरिक्त, उन्हें उस्ताद अकरम खान और पंडित सदानंद नईमपल्ली जैसे प्रख्यात तबला वादकों से प्रशिक्षण प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है।
ऋषि शंकर उपाध्याय युवा पीढ़ी के सबसे उत्कृष्ट पखावज वादकों में से एक हैं। वह पं. वासुदेव उपाध्याय गया (बिहार) की 400 साल पुरानी पखावज परम्परा की 13वीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने दादा स्वर्गीय पंडित पं.रामजी उपाध्याय और बाद में अपने पिता पं. रविशंकर उपाध्याय से ही कम उम्र में ही प्राप्त कर ली थी। वह ऑल इंडिया रेडियो के ए ग्रेड कलाकार हैं, जिन्हें सोपोरी संगीत अकादमी के सामापा युवा रत्न सम्मान 2017 और संगीत नाटक अकादमी के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार 2023 जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों सहित और भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है ।
स्पिक मैके
युवाओं के बीच भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सोसायटी (स्पिक मैके) बिल्कुल वैसा ही करती है जैसा इसके नाम से पता चलता है – यह साझाकरण और स्वयंसेवा के माध्यम से युवाओं के बीच भारतीय संस्कृति और संगीत की खुशी को फिर से भरने के लिए सभी प्रकार के शैक्षणिक संस्थानों के साथ काम करती है। स्पिक मैके की स्थापना डॉ. किरण सेठ द्वारा की गई थी और यह समर्पित स्वयंसेवकों द्वारा चलाया जाता है।
उल्लेखनीय है कि उस्ताद नासिर अमीनुद्दीन डागर और उस्ताद जिया फरीदुद्दीन डागर, प्रोफेसर टीएन कृष्णन, पंडित बिरजू महाराज, विद जैसे दिग्गज कलाकारों ने शुरू से ही इसका समर्थन किया है। मालविका सरुक्कई, सोनल मानसिंह, उस्ताद असद अली खान, उस्ताद मुन्नवर अली खान, उस्ताद जिया मोहिउद्दीन डागर, उस्ताद बिस्मिल्ला खान, पं. भीमसेन जोशी जैसे लोगों ने हमेशा स्पिक मैके के लिए संगीत प्रदर्शन को समाज और देश स्थापित करने का बेहतरीन प्रयास किया है। स्पिक मैके ने हजारों सरकारी कंपनियों के साथ साझेदारी की है। स्कूल, ग्रामीण स्कूल, निजी और अंतर्राष्ट्रीय स्कूल, डिग्री कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, तकनीकी कॉलेज, विश्वविद्यालय, प्रबंधन संस्थान,अनुसंधान संस्थान और सभी पृष्ठभूमि के युवाओं तक पहुँचने का प्रयास करते हैं।
कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय के चन्द्रशेखर तिवारी ने मंचासीन अतिथियों और सभागार में उपस्थित लोगों का स्वागत किया और निकोलस हाॅफलैण्ड ने अंत में सबका धन्यवाद किया। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के निदेशक श्री एन रविशंकर भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। इन अवसर पर अंजली भर्तहरि, रामचरण जुयाल, विभूति भूषण भट्ट,छवि मिश्रा, मंजरी मेहता, अवि नंदा , विजय भट्ट,बिजू नेगी, दुर्गेश कुमार, विजय पाहवा,सुंदर सिंह बिष्ट, विजय बहादुर सहित आसरा ट्रस्ट के छात्र,छात्राएं,अध्यापिकाएं व कार्यकर्ता तथा देहरादून के अनेक संगीतकार, संगीत प्रेमी, साहित्यकार, बुद्धजीवी, पत्रकार, साहित्य प्रेमी और पुस्तकालय के पाठकगण उपस्थित रहे।