
सुपरिचित संगीतकार बीथोवेन के जीवन व संगीत पर वीडियो लेक्चर
देहरादून, 20 जुलाई । दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र कि ओर से सभागार में आज सायं 4:30 बजे बीथोवेन के जीवन और उसकी संगीत यात्रा पर आधारित एक महत्वपूर्ण वीडियो व्याख्यान दिया गया। फ़िल्म और संगीत के जानकार और अध्येता श्री निकोलस की ओर से यह व्याख्यान दिया गया। उल्लेखनीय है कि दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र द्वारा समय-समय पर पुस्तक वाचन और चर्चा, संगीत, वृत्तचित्र, फिल्म, लोक परंपरा व कला, इतिहास और समाज पर केंद्रित कार्यक्रम किये जाते रहते हैं।
इसी क्रम में आज “और फिर वह बीथोवेन भी था ” शीर्षक से एक वीडियो व्याख्यान आयोजित किया गया। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के कार्यक्रम सहयोगी
निकोलस ने इस महान संगीतज्ञ जीवन और उसकी संगीत यात्रा के विविध पक्षों पर जानकारी देते हुए विविध बिंदुओं पर क्रमबद्ध वृतांत श्रोताओं के समक्ष रखा .
निकोलस ने बताया कि बीथोवेन एक जर्मन संगीतकार और पियानोवादक थे, जिन्हें पश्चिमी संगीत के इतिहास में निर्णायक व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है। बीथोवेन का जन्म दिसंबर 1770 में हुआ था. बीथोवेन 1792 में वियना चले गए, जहाँ उन्होंने हेडन जैसे प्रभावशाली संगीतकारों से मुलाकात की और गंभीरता से संगीत के कार्यक्रम से जुड़ गए.
बीथोवेन ने 1802 में अपना पियानो सोनाटा नंबर 14,तैयार किया। ‘मध्य काल’ में उन्होंने वाल्डस्टीन और अपासियोनाटा सोनाटा जैसे पियानो कार्यों के साथ-साथ अपने एकमात्र ओपेरा, फिदेलियो की भी रचना की, जिसे अनगिनत बार फिर से लिखा गया और संशोधित किया गया। खराब स्वास्थ्य और बढ़ते बहरेपन के कारण बीथोवन के जीवन के अंत में गिरावट आई, लेकिन फिर भी वे कई महत्वपूर्ण कार्य को करने में सफल रहे. बीथोवन का निधन 26 मार्च 1827 को वियना में हुआ.
इस अवसर पर विजयलक्ष्मी देवी,सी.बी.रसायली, बिजू नेगी, चंद्रशेखर तिवारी, राजेश कुमार, सुशीला भंडारी, सुरेंद्र सजवाण, श्री मनमोहन चढ्ढा, विजय शंकर सुकल, सुंदर बिष्ट, विनोद सकलानी , अम्मार नक़वी, सोमेश्वर पाण्डेय, कुमार राकेश सहित संगीत प्रेमी, बुद्धिजीवी व युवा पाठक उपस्थित रहे.