दून पुस्तकालय में विनोबा भावे को उनकी 129 वीं जयंती पर याद किया गया
देहरादून, 11 सितम्बर,2024। आचार्य विनोबा भावे की 129 वीं जयंती पर उनका भाव पूर्ण स्मरण जिला सर्वाेदय मंडल, देहरादून द्वारा दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के सहयोग से आज शाम को किया गया। दून पुस्तकालय के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. इन्दु शुक्ल, उपाध्यक्ष, देहरादून सर्वाेदय मंडल ने की। इस अवसर पर विनोबा के कुछ प्रिय भजन गीतों गायन भी किया गया। लोगों द्वारा बिनोवा जी के चित्र पर पुष्पांजलि भी दी गयी।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर प्रसिद्ध पर्यावरणविद डॉ. रवि चोपड़ा ने सर्वाेदय और विनोबा पर अपने सम्यक विचार रखें। उन्होंने उनके विचार व जीवन से जुड़े अनेक उदाहरण लोगों के सामने रखा। उल्लेखनीय है कि डॉ.चोपड़ा ने विनोबा,सर्वाेदय और भूदान को बहुत निकट से देखा और समझा है। कार्यक्रम में सह वक्ता के रूप में श्री अशोक कुमार, निदेशक, दूरदर्शन और आकाशवाणी थे। इन्होंने भी सर्वाेदय और भूदान के साथ विनोबा के जीवन और दर्शन पर अपने विचार व्यक्त किये। अशोक कुमार ने बताया कि उन्होंने गांधी व बिनोवा दर्शन से प्रभावित होकर अपनी दिनचर्या भी उनकी दर्शन शैली में समाहित की हुई है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि विनोबा जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ महात्मा गांधी द्वारा घोषित प्रथम सत्याग्रही थे। धुलिया जेल मे उनके द्वारा लिखित गीता दर्शन और विभिन्न धर्माे के ग्रंथों पर आधारित यथा-कुरान सार, धम्मपद सार,बाइबिल, गुरुग्रंथ साहब, वैदिक धर्म सार इत्यादि के अतिरिक्त ईसावास्यवृत्ति,स्थितप्रज्ञ दर्शन उनकी प्रमुख कालजयी रचनाएं हैं।उनका भूदान आंदोलन जिसमें संपूर्ण देश में लगभग 48 लाख एकड जमीन दान में मिली उसीके कारण भारत देश एक बहुत बड़े सामाजिक सशस्त्र संघर्ष से बच गया।
सर्वोदयी विचारक विजय शंकर शुक्ल ने कहा कि विनोबा के प्रभाव से उत्तराखंड में हरिद्वार को छोड़कर करीब 3000 एकड जमीन भूदान में प्राप्त हुई और उत्तरकाशी जिले का जिलादान संपन्न हुआ। विनोबा जी ने निष्पक्ष और निर्बैर रहते हुए निर्भय और फिर अभय होने का सूत्र देते हुए जय जगत का उद्घोष किया। वह कहते थे कि मैं किसी देश विशेष का अभिमानी नहीं,किसी धर्म विशेष का आग्रही नहीं,किसी संप्रदाय, मत मतांतर के उलझन में न पड़कर प्रकृति के स्वतंत्र उद्यान में शून्य भेदभाव से विचरण करने वाला व्यक्ति हूं।
कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध अधिवक्ता हरवीर सिंह कुशवाहा ने किया। प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के चंद्रशेखर तिवारी ने सभागार में उपस्थित जनों का स्वागत किया। इस अवसर पर कुसुम रावत, हिमांशु आहूजा,डॉ.राजेश पाल, चन्दन नेगी, सुरेन्द सजवाण, शैलेंद्र भंडारी, समदर्शी बड़थ्वाल, सुंदर सिंह बिष्ट व मनमोहन चढ्ढा, अतुल शर्मा सहित कई सर्वोदयी विचारक लेखक, साहित्यकार, व अनेक पाठक और प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।