माउंटेन फिल्म फेस्टिवल, देहरादून -2023 का आयोजन
दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के सभागार में दिनांक 23-25 जून 2023 तक अपराह्न 2ः30 से 6ः30 बजे तक तीन दिवसीय माउंटेन फिल्म फेस्टिवल आयोजित किया गया। यह फेस्टिवल संयुक्त रुप से दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र और डॉ. द्विजेन सेन मेमोरियल कला केंद्र व सिनेमामार्ग फिल्म क्लब देहरादून की ओर से आयोजित किया गया।
उत्तराखंड में फीचर फिल्मों को दिखाने का यह अपनी तरह का पहला फेस्टिवल रहा। इस फेस्टिवल में भारत और बाहर के देशों के पर्वतीय परिवेश पर बनी फीचर फिल्मों, वृत्तचित्रों और एनिमेशन शॉर्ट्स को प्रदर्शित की र्गइं। इस फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित की जाने वाली सभी फिल्मों का प्रवेश निशुल्क रखा गया था।
प्रथम दिवस – 23 जून,2023
दोपहर 2ः30 बजे से शाम 6ः30 बजे तक दो फिल्में दिखाई गयीं। फिल्म निर्देशक यूसुफ सईद द्वारा उत्सव में दर्शकों का स्वागत और परिचय दिया गया और द्विजेन सेन स्मृति कला केंद्र के कर्नल दुग्गल द्वारा इसकी शुरुआत की गई। सबसे पहले ‘दायें या या बायें‘, फिल्म जिसके निर्देशक, बेला नेगी हैं 112 मिनट की अवधि की प्रदर्शित की गई
इसमें मुख्य कहानी रमेश माजिला नामक एक युवक के इर्दगिर्द घूमती है। रमेश के जीवन के बारे में यह एक तरह से नाटक फिल्म है। रमेश दरअसल दूरदराज के एक पहाड़ी गांव में स्कूली शिक्षक है। किसी प्रतियोगिता में उसने एक लक्जरी कार जीती होती है। यह कार अन्ततः उसे एक अप्रत्याशित यात्रा से ले जाते हुए एक महत्वपूर्ण और निर्णायक मोड़ पर ले जाती है। इस फिल्म को कुमाऊं अंचल के गाँव के शानदार परिवेश में तैयार किया गया है। मुम्बई में रह रही इस फिल्म की निर्देशिका बेला नेगी से ऑन लाइन बातचीत भी की गई।
शाम 5ः00 बजे दूसरी फिल्म ‘केसर सागा‘, निर्देशक, इफ्फत फातिमा, (भारत), 75 मिनटकी प्रदर्शित की गई।केसर सागा दरअसल लद्दाख के हिमालयी क्षेत्र में केसर नाम से प्राचीन तिब्बती कहानी कहने की एक अनूठी व लुप्तप्राःय परंपरा फिल्म शानदार तरीके से बताती है।
इस अवसर पर सुरेश उनियाल,बिजू नेगी,चन्द्रशेखर तिवारी, शुशील उपाध्याय, अतुल शर्मा, जगदीश सिंह, मदन सिंह, सुंदर बिष्ट, जे बी गोयल व अनेक फिल्म प्रेमी वयुवा पाठक उपस्थित थे।
दूसरा दिन
दिनांक 23-25 जून, 2023 तक अपराह्न 2ः30 से 6ः30 बजे तक आयोजित होने वाले त्रि-दिवसीय माउंटेन फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र और डॉ. द्विजेन सेन मेमोरियल कला केंद्र व सिनेमामार्ग फिल्म क्लब देहरादून की ओर से 24 जून को तीन फिल्में प्रदर्शित की गईं। खचाखच भरे सभागार में दर्शकों ने इन फिल्मों का खूब आनन्द उठाया। फिल्म शुरू होने से पूर्व दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया। फिल्म निर्देशक यूसुफ सईद व सामाजिक विचारक बिजू नेगी ने फिल्मों का परिचय व कथानक की जानकारी दी
पहली फिल्म पिंटी का साबुन दिखाई गई। ‘पिन्टी का साबुन‘, का साबुन इसी नाम के उपन्यास पर आधारित, उत्तराखंड के एक गाँव में रहने वाले एक 12 साल के लापरवाह लड़के ललित की कहानी है, जिसके मन में पिंकी के साबुन की खुश्बू मन के भीतर तक पैठ जाती है। 85 मिनट की अवधि की यह बेहतरीन फिल्म खुशबूदार साबुन के मोहपाश में बंधे ललित जैसे अनेक बच्चों के बाल मनोविज्ञान को भी बखूबी से दर्शाने का प्रयास करती है।
दूसरी फिल्म ‘सम थिंग‘,निर्देशक, ऐलेना वाॅल्फ (जर्मनी) 7 मिनट की प्रदर्शित की गई। दरसल यह एक एनिमेटेड लघु फिल्म है जो तीन विशाल बड़े पहाड़ों के बारे में है जहां तेल, सोना और आग के बीच एक छोटा सा पहाड़ है।
अंत में ‘स्प्रिंग,समर. फाॅल, विन्टर एण्ड स्प्रिंग‘, निर्देशक, किम की-डुक (दक्षिण कोरिया) 102 मिनट की अवधि की यह फिल्म एक लड़के के बारे में है जो एक बौद्ध भिक्षु द्वारा एकान्त जगह में तैरते मंदिर में पला-बढ़ा है, जहां साल मौसम की तरह बीतते रहते हैं,।
इस अवसर पर फिल्म अभिनेता मदन दुकलांन, गोविंद कपतियाल, कमला पन्त, डॉ. सविता मोहन, सुरेश उनियाल,बिजू नेगी, तन्मय ममगाईं,, अतुल शर्मा,चन्द्रशेखर तिवारी, सुरेंद्र सजवाण,, मनमोहन चड्ढा,सिंह, सुंदर बिष्ट, सुमन भारद्वाज,डॉ.धीरेन्द्रनाथ तिवारी,रामचन्द्र जुयाल,विनोद सकलानी सहित अनेक साहित्यकार,लेखक व फिल्म प्रेमी और युवा पाठक उपस्थित थे।
तीसरा व अतिम दिन
दिनांक 25 जून 2023 को अपराह्न 2ः30 से 6ः30 बजे तक आयोजित होने वाले त्रि-दिवसीय माउंटेन फिल्म फेस्टिवल के तीसरे व अंतिम दिन दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र और डॉ. द्विजेन सेन मेमोरियल कला केंद्र व सिनेमामार्ग फिल्म क्लब देहरादून की ओर से दर्शको को चार फिल्में दिखाई गईं। सभागार में दर्शकों की अच्छी खासी उपस्थिति रही। दर्शकों ने इन फिल्मों को तन्मयता से देखा। फिल्म शुरू होने से पूर्व फिल्म निर्देशक यूसुफ सईद व सामाजिक विचारक बिजू नेगी ने फिल्मों का परिचय व कथानक की जानकारी दी। प्रारम्भ में स्वागत परिचय चंद्रशेखर तिवारी ने दिया।
माउंटेन फिल्म महोत्सव में आज सबसे पहले निर्देशक करिश्मा देव दूबे की फिल्म बिट्टू (17 मिनट की अवधि) दिखाई गई। इस फिल्म की कहानी दो घनिष्ठ सहेलियों पर केंद्रित हैं। किसी स्कूल में विषाक्तता की एक दुर्घटना से उनकी दोस्ती पर ग्रहण लग जाता है। यह फिल्म ऑस्कर पुरुस्कार के लिए नामित हुई थी। किनीबुडी शीर्षक से एक लघु फिल्म 14 मिनट की भी दिखाई गई। इसे डैनी कुक, फिलीपीन्स ने निर्देशित किया है। औद्योगिक खेती व हैयान तूफान की मार झेलते नारियल किसानों के जीवन संघर्ष की कहानी को बड़ी बेबाकी से फिल्म दिखाती है।
एक अन्य फिल्म एन ऑबजेक्ट एट् रेस्ट 6 मिनट की एनीमेशन फिल्म जो सेठ बॉयडेन, संयुक्त राज्य द्वारा निर्देशित है उसे दिखाया गया। यह फिल्म एक प्रतिद्वंदी मानव सभ्यता का सामना करती हुई दिखाई है।
अंत में निर्देशक सुव्रत कुमार साहू, की श्हो गई है पीर पर्वत कीश् जो कुल111 मिनट की थी उसे दिखाया गया। यह वृत चित्र सतलज घाटी पर केंद्रित है । जलविद्युत निर्माण विकास का गहन दुष्प्रभाव स्थानीय लोगों और वहां के पर्यावरण पर कितना गहन पड़ रहा है उसे यह वृतचित्र बखूबी से उजागर करता है। इस फिल्म के प्रदर्शन के पर्यावरणविद डॉ.रवि चोपड़ा ने फिल्म निर्देशक सुब्रत कुमार साहू से बात भी की।
फिल्म प्रदर्शन के बाद फिल्म के कथानक व अन्य बिंदुओं पर दर्शकों द्वारा जबाब-सवाल भी किये।
अंत में फिल्म क्लब के अभ्यर्थियों को प्रमाण-पत्र भी वितरित किये गए।
फिल्म प्रदर्शन के दौरान कर्नल दुग्गल डॉ. सविता मोहन,अनिल नौरिया, सुरेश उनियाल, प्रेम पंचोली, बिजू नेगी, अरुण असफल, मनीष ओली, सुंदर सिंह बिष्ट, रामलाल, जे बी गोयल साहित्यकार,लेखक व फिल्म प्रेमी और युवा पाठक उपस्थित थे।