मांगणियार संगीत के विविध पक्षों पर व्याख्यान

मांगणियार संगीत के विविध पक्षों पर व्याख्यान

देहरादून,16 अक्टूबर,2024।दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के सभागार में आज सायं 4ः30 बजे मांगणियार संगीत पर एक बेहतरीन वीडियो व्याख्यान दिया गया। फ़िल्म और संगीत के अध्येता निकोलस द्वारा यह व्याख्यान दिया गया। उल्लेखनीय है कि समय-समय पर दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र द्वारा पुस्तक लोकार्पण, चर्चा, संगीत, वृत्तचित्र फिल्म, लोक परंपराओं और लोक कलाओं, इतिहास, सामाजिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर केंद्रित कार्यक्रम किये जाते रहते हैं। इसी क्रम में आज मांगणियार संगीत पर आधारित व्याख्यान आयोजित किया गया।

निकोलस ने राजस्थान की लोक संगीत परम्परा के बारे में विस्तार से व्याख्यान और चित्रों के माध्यम से सभागार में उपस्थित लोगों को सजीव जानकारी प्रदान की। निकोलस ने मांगणियार संगीत के विविध पक्षों पर संगीत के अलग-अलग बेहतरीन टुकड़ों को भी क्रमबद्ध रूप से दर्शकों के सम्मुख रखा।

अपने व्याख्यान में निकोलस ने कहा कि भारत में लोक संगीत की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। अत्यधिक सांस्कृतिक विविधता लोक शैलियों की अनंत किस्मों का निर्माण करती है। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशेष शैली होती है, राजस्थान की भीरू मांगनियार पेशेवर मुस्लिम लोक संगीतकार हैं जो पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर के कुछ हिस्सों, बीकानेर और जोधपुर जिलों से हैं। अन्य परम्परागत संगीतकारों की तरह, वे पीढी़ दर पीढी अपने संरक्षकों को उपहार के रूप में मवेशी, ऊंट, बकरी या नकदी प्राप्त करने के लिए संगीत सेवा प्रदान करते हैं। खास बात यह है कि वे विशुद्ध मौखिक परंपरा के आधार पर अपने गीतों से विविध पारिवारिक इतिहास को जीवित रखते हैं।

मांगणियार संगीत गायक महान सूफी संतों और भगवान कृष्ण दोनों की स्तुति गाते हैं। ये शानदार गुणी संगीतकार रेगिस्तान की लोकप्रिय रहस्यमय और धर्मनिरपेक्ष परंपराओं को महाराजाओं के दरबार के साथ जोड़ते हैं। वे मध्य युग की धार्मिक और शूरवीर कला को यह आज तक कायम रखने का प्रयास करते आ रहे हैं।कई गीत रोपण और कटाई से जुड़े हैं।

आजकल पारंपरिक गाँव के परिदृश्य से लेकर सेटिंग व बड़े मंचों तक माँगनियारों की संगीतमय प्रस्तुतियों की अत्यधिक मांग न केवल उनकी अनोखी आवाज़ों और वाद्ययंत्रों के कारण हैं, बल्कि इसलिए भी है क्योंकि उनका यह शानदार संगीत दर्शकों की गहराई तक छूने में सक्षम हैं।

इस अवसर पर ,दून पुस्तकालय के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने सभी लोगों का स्वागत किया। इस अवसर पर एस. के. नौटियाल, अम्मार नक़वी,विजय भट्ट,कुसुम रावत, अपर्णा वर्धन,विनोद सकलानी, देवेंद्र कांडपाल, अरुण कुमार असफल, सुंदर बिष्ट, राकेश कुमार, विजय के यादव ,मनोज पंजानी सहित अनेक कला व संगीत प्रेमी, बुद्धिजीवी व पाठक लोग उपस्थित रहे।