नेपाली फ़िल्म छक्का-पंजा का प्रदर्शन
दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से संस्थान के सभागार में बुधवार 17 जनवरी ,2024 को अपराह्न 4:00-6:30 बजे तक नेपाली फ़िल्म ‘ छक्का-पंजा’ का प्रदर्शन किया गया। मूल रूप में नेपाली में बनी इस फ़िल्म के उप शीर्षक अंग्रेजी में दिए गए हैं। छक्का-पंजा फ़िल्म की कुल अवधि 138 मिनट थी। अलग-अलग बोली भाषाओं में बनी सामाजिक फिल्मों के प्रदर्शन की कड़ी में इस फिल्म को भी इसका एक हिस्सा बनाया गया। इस फ़िल्म के प्रदर्शन के अवसर पर बड़ी संख्या में खासकर गोर्खाली समाज के लोगों ने अपनी उपस्थिति दी।
छक्का पंजा -3 (नेपाली: उक्का पंजा -3) एक तरह से नेपाली कॉमेडी फिल्म है। इसे दीपाश्री निरौला द्वारा निर्देशित किया गया है। आमा सरस्वती मूवीज़ के लिए दीपाश्री निरौला, दीपक राज गिरी, केदार घिमिरे व जीतू नेपाल द्वारा इसका निर्माण किया गया है। दरअसल यह छक्का पंजा श्रृंखला की तीसरी फिल्म है । फ़िल्म के कथानक की संक्षिप्त बात की जाय तो यह फिल्म स्कूल के हेडमास्टर और लोकप्रिय समाचार रिपोर्टर की बेटी की कहानी पर आधारित है, जिसकी शादी एक बड़े राजनेता के बेटे, अमीर और अनपढ़ राजा से होती है। वह अपने गांव और एक सरकारी स्कूल की स्थिति सुधारने की कोशिश करती है लेकिन उसे अपने लक्ष्य में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। फिल्म को इसकी कहानी, पटकथा, सामाजिक संदेश, कॉमेडी और कलाकारों विशेषकर केदार घिमिरे के प्रदर्शन के लिए आलोचकों और दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी ब्लॉकबस्टर थी और कई फिल्मों के रिकार्ड को तोड़ते हुए अपने पूर्ववर्ती ‘छक्का पंजा’ को पीछे छोड़ते हुए नेपाल में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई।
फिल्म के प्रारम्भ होने से पूर्व दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से सभागार में उपस्थित लोगों का स्वागत किया गया और फ़िल्म का सामान्य परिचय दर्शकों के सम्मुख रखा गया। फ़िल्म प्रदर्शन से पूर्व 2:30 से 3:30 तक उत्तराखण्ड सम्मान समिति एवं यूएफडी एंटरनमेंट द्वारा पिछले साल स्थानीय स्तर बनी कुछ फिल्मों का ट्रेलर प्रदर्शन किया गया और प्रमुखफ़िल्म निर्माताओं का सम्मान मंच पर किया गया।
फ़िल्म के समापन के बाद इस विषय पर चर्चा के साथ दर्शकों द्वारा सवाल-जबाब भी किये। इस अवसर पर सभागार में गोपाल सिंह थापा, बिजू नेगी,रंगकर्मी पंकज पांडे,जितेंद्र नौटियाल, विनोद सकलानी, विजय भट्ट,निकोलस हाॅफलैण्ड तथा चन्द्रशेखर तिवारी , डॉ.योगेश धस्माना, सुंदर सिंह बिष्ट ,राकेश कुमार सहित फिल्म प्रेमी, रंगकर्मी, लेखक, साहित्यकार, साहित्य प्रेमी, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्विजीवी, पुस्तकालय के सदस्य तथा युवा पाठक उपस्थित रहे।