दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से दो लघु फ़िल्मो द लास्ट रोडोडेंड्रॉन व वेट् ब्लू टरपालिन का प्रदर्शन

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से दो लघु फ़िल्मो द लास्ट रोडोडेंड्रॉन व वेट् ब्लू टरपालिन का प्रदर्शन

दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर में शनिवार, 17 जून, 2023 की शाम को यशस्वी जुयाल द्वारा द लास्ट रोडोडेंड्रॉन तथा अनुनय बरभुइया द्वारा निर्देशित वेट् ब्लू टरपालिन फिल्में संस्थान के सभागार में प्रदर्शित की गयीं। दून के फ़िल्म प्रेमियों, रंगमंच से जुड़े कलाकारों, पुस्तकालय के युवा पाठक सदस्यों व अन्य लोग इस अवसर पर उपस्थित थे।
‘द लास्ट रोडोडेंड्रॉन’ फ़िल्म की कहानी उत्तराखंड के पहाड़ों के एक छोटे से गाँव से जुड़ी है। द लास्ट रोडोडेंड्रोन’ एक संघर्षमय यात्रा को चित्रित करती है। इसमे एक पीढ़ी शहर की संभावनाओं से जुड़ी हुई दिखती है तो दूसरी अपनी जमीन के अस्तित्व से संघर्षरत है ।
‘वेट् ब्लू टरपालिन’ फ़िल्म दरअसल
महाराष्ट्र में काम करने वाले असम के एक व्यक्ति से सम्बंधित है जिसका सामना किसी एक शहर से होता है। जहां उसे अपनी नौकरी जारी रखने के लिए एक फर्जी आईडी कार्ड बनवाने के लिए जोर दिया जाता है।
यशस्वी जुयाल एक स्व-शिक्षित स्वतंत्र फिल्म निर्माता और पटकथा लेखिका हैं ।उनकी लघु डॉक्यूमेंट्री “ए वाइज क्रैब” का मुंबई के फिल्म फेस्टिवल 2015 में आधिकारिक रूप से चयन किया गया। उनकी दूसरी डॉक्यूमेंट्री “कॉन्फिडेंट इन बीइंग कन्फ्यूज्ड” ने सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री का पुरस्कार जीता
इंडियन सिने फिल्म फेस्टिवल (2016) में अवार्ड और दादा साहेब फाल्के फिल्म फेस्टिवल (2016), दिल्ली में स्पेशल जूरी अवार्ड। बाद में उन्होंने “सिल्वरकॉर्ड फिल्म्स” नामक अपने स्वयं के फिल्म स्टूडियो और संगठन की स्थापना की – उत्तराखंड के क्षेत्रीय सिनेमा और स्थानीय रूप से निर्मित वृत्तचित्रों, प्रायोगिक फिल्मों, संगीत वीडियो, फिल्म कार्यशालाओं और कला समुदाय के समारोहों पर ध्यान केंद्रित किया। वह अपनी 2018 में रिलीज़ हुई डॉक्यूमेंट्री “आई स्टैमर व्हेन आई टॉक” के लिए जानी जाती हैं।
अनुनय बरभुइया असम, भारत के एक स्वतंत्र फिल्म निर्माता-कलाकार हैं। उन्होंने भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान में फिल्म निर्देशन और पटकथा लेखन का अध्ययन किया। उनकी फिल्म, वेट ब्लू टरपालिन (2019, भारत), जिसे उन्होंने लिखा और निर्देशित किया है, का प्रीमियर 15 वें अंतर्राष्ट्रीय लघु और स्वतंत्र फिल्म महोत्सव, ढाका में, इसकी शुरुआती प्रदर्शन के एक भाग के रूप में किया गया।
वर्तमान में, वह असम में आधारित अपनी पहली फीचर-लेंथ हाइब्रिड डॉक्यूमेंट्री पर काम कर रहे हैं और प्रायोगिक ऑडियो-विजुअल शॉर्ट्स पर सहयोग कर रहे हैं।
अंकित थापा देहरादून, भारत के एक स्वतंत्र फिल्म निर्माता हैं। वह ध्वनि रिकॉर्डिंग और ध्वनि डिजाइन में विशेषज्ञता के साथ भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई), पुणे के पूर्व छात्र हैं।
फ़िल्म निर्देशक यशस्वी जुयाल तथा
साउंड-डिजाइनर व रिकॉर्डिस्ट अंकित थापा फ़िल्म प्रदर्शन के बाद लोगों के समक्ष चर्चा भी की। देहरादून की फिल्म निर्देशिका शाश्वती तालुकदार फिल्मों का परिचय दिया और चर्चा का संचालन किया। इस दौरान उपस्थित लोगों ने फ़िल्म से जुड़े अनेक सवाल जबाब भी किये।

TWO SHORT FILMS :THE LAST RHODODENDRON &
WET BLUE TARPAULIN
A screening of THE LAST RHODODENDRON & WET BLUE TARPAULIN
at the Doon Library and Research Centre
on Saturday, 17 June, 2023; 4.30-6.15pm
ABOUT THE TWO SHORT FICTION FILMS
THE LAST RHODODENDRON :: In a small village in the mountains of Uttarakhand, as a daughter is summoned by an urban promise, her mother is haunted by the possibility of a ghost village. ‘The Last Rhododendron’ narrates the journey of a conflict where one generation is connected to the possibilities of the city, and the other is tethered to the survival of their land.
WET BLUE TARPAULIN :: A man from Assam working in Maharashtra encounters the strange city when he is asked to get a fake ID card made to continue his job.
DIRECTOR & TEAM INFORMATION
THE LAST RHODODENDRON ::
YASHASVI JUYAL is a self taught Independent Filmmaker & Screenwriter from Uttarakhand, India.
His short documentary “A Wise Crab” was an official selection in JIO MAMI Mumbai Film Festival 2015 and won the special jury award
His second documentary “Confident in Being Confused” won the Best Documentary Award in the Indian Cine Film Festival (2016) & Special Jury Award in the Dada Saheb Phalke Film Festival (2016), Delhi. He later founded his own film studio & organisation called “Silvercord Films” – focussing on regional cinema of Uttarakhand and locally produced documentaries, experimental films, music videos, film workshops & art community gatherings. He is known for his 2018 released documentary “I Stammer When I Talk”, on a local rapper’s journey battling all odds and his own verbal handicap to pursue his dream to tell storiesthrough rhythm and poetry, the film was presented by terribly tiny tales in a special section called “ttt curates”. His experimental short “Kewal Tumhara” (2019) was based on his grandfather’s love letter to his grandmother, which he discovered after his grandfather’s demise. The film had its world premiere at the New York Indian Film Festival 2019.
WET BLUE TARPAULIN ::
ANUNAY BARBHUIYA is an independent filmmaker-artist from Assam, India. He studied film direction and screenplay writing at the Film and Television Institute of India. His final-year student film, Wet Blue Tarpaulin (2019, India), which he has written and directed, premiered at the 15th International Short and Independent Film Festival, Dhaka, as a part of its opening screening. The film won at the 11th Indian Film Festival of Bhubaneswar, the 11th Cut.In National Students’ Film Festival, TISS Mumbai, and the 9th DMCS National Film Festival, Pune. After passing out from the institute, he has written a feature-length script for a Jharkhand-based director, which is currently in the pre-production phase. Since the last quarter of 2021, he has been associated with a musical duo, Looking Glass, as a visual artist. It produces experimental audio-visual pieces. Currently, he is working on his first feature-length hybrid documentary based in Assam and collaborating on experimental audio-visual shorts.
ANKIT THAPA is an independent Filmmaker from Dehradun, India. He is an alumnus of the Film and Television Institute of India (FTII), Pune with specialisation in Sound Recording and Sound Design.