फ़िल्म निर्देशक कुमार साहनी पर बातचीत
देहरादून,12 अप्रेल। दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के सभागार में आज सायं 4:30 बजे जाने माने फ़िल्म निर्देशक कुमार साहनी पर प्रस्तुतिकरण का एक आयोजन किया गया। फ़िल्म इतिहास के जानकार डॉ.मनोज पँजानी व ने इस विषय पर स्लाइड प्रदर्शन के साथ प्रस्तुति दी। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से पुस्तक वाचन और चर्चा, संगीत, वृत्तचित्र फिल्म, लोक परंपराओं और लोक कलाओं, इतिहास, सामाजिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर केंद्रित कार्यक्रमों की कड़ी में इस प्रस्तुति में फिल्म निर्माता कुमार साहनी के फ़िल्म जगत को दिए महत्वपूर्ण योगदान को याद किया गया। इनका हाल ही में निधन हो गया था। इस आयोजन के मौके पर लेखक निर्देशक विनय शुक्ला और साउंड रिकॉर्डिस्ट नरेंद्र सिंह ने मुंबई से जो संदेश भेजा था उस संदेश को उपस्थित श्रोताओं को पढ़कर सुनाया गया। संदेश को हिमानी डांगी और राहिल परवीन ने सुनाया। मनोज पंजानी ने बताया कि वे पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट के दूसरे बैच से थे। ऋत्विक घटक उस समय संस्थान के वाइस प्रिंसिपल थे। कुमार साहनी उनसे बहुत प्रभावित रहे थे। फ्रांसीसी फिल्म निर्माता रॉबर्ट ब्रेसन से भी वे बहुत प्रभावित हुए। कुमार साहनी सरकारी छात्रवृत्ति पर फ्रांस भी गये । तब फ्रांस में रहते हुए उन्होंने रॉबर्ट ब्रेसन की सहायता भी की। निर्देशक के रूप में उनकी पहली फिल्म निर्मल वर्मा की कहानी पर आधारित थी। निर्मल वर्मा ने फिल्म के संवाद लिखे थे। ‘तरंग’, ‘क़स्बा’और ‘चार अध्याय’ उनके द्वारा निर्देशित प्रमुख फ़िल्में थीं। इसके अलावा कवि और साहित्यिक आलोचक निर्मल वर्मा ने ‘तरंग’ में एक गीत लिखा। भीष्म साहनी ने क़स्बा की पटकथा लिखी थी। कुमार साहनी की फ़िल्में दृष्टिगत रूप से बहुत समृद्ध थीं। उन्होंने अपनी फिल्मों की कल्पना एक लैंडस्केप चित्रकार की तरह करी।
इस अवसर पर दून पुस्तकालय के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने सभी उपस्थित जनों का स्वागत किया और निकोलस हॉफ़लैंड ने अंत में सभी का आभार व्यक्त किया। इस दौरान जनकवि डॉ.अतुल शर्मा, अपर्णा वर्धन,विजय शंकर शुक्ला, हिमांशु आहूजा, शमा खान, रंजन शर्मा, रेखा शर्मा, लेखक शैलेंद्र नौटियाल , श्री मनमोहन चढ्ढा, सुंदर बिष्ट व फ़िल्म,कला व संगीत प्रेमी, बुद्धिजीवी व अनेक युवा पाठक उपस्थित रहे।