उत्तराखंड के लोक रंगमंच पर प्रो. पुरोहित का व्याख्यान

उत्तराखंड के लोक रंगमंच पर प्रो. पुरोहित का व्याख्यान

आज शनिवार दिनांक 2 सितम्बर, 2023 को दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से उत्तराखंड के प्रख्यात शिक्षाविद् और लोक संस्कृतिविद,नाट्यकार, निर्देशक,, प्रोफेसर डी.आर.पुरोहित द्वारा उत्तराखंड के लोक नाट्यों पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया गया। प्रोफेसर पुरोहित ने विस्तृत वार्ता के साथ उत्तराखंड की बहुचर्चित रम्माण (जिसे वर्ष 2009 में युनेस्को द्वारा विश्व अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया गया है), नंदा देवी राजजात, बग्ड्वाली, हिलजात्रा, जैसे महत्वपूर्ण लोक नाट्यों पर रोचक प्रस्तुति दी। उनके साथ डॉ. शैलेंद्र मैठाणी ने गीतों व जागरों की मंच प्रस्तुति ने कार्यक्रम को रोचक व जीवंत बना दिया। व्याख्यान के दौरान फीचर फोटो, स्लाइड व आॅडियो-विजुअल ,गीतों व जागरों के माध्यम से विषय वस्तु को समझने में बहुत आसानी हुई।
प्रोफेसर पुरोहित ने “मध्यकालीन अंग्रेजी ड्रामा व गढ़वाल का लोक रंगमंच विषय” पर पी.एच.डी. करने के बाद गढ़वाल विश्व विद्यालय में अंग्रेजी विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। वहाँ अध्यापन करते हुए उन्होने वर्ष 1986-87 में गढ़वाल के ढ़ोल वादकों को एकत्र कर “ हिमालय ताल वृंद आॅर्केस्ट्रा “ की स्थापना कर उसका महत्वपूर्ण निर्देशन किया। उन्होने गढ़वाल के विभिन्न नगरों में इस आर्केस्ट्रा के कंसर्ट आयोजित कर यहाँ के ढ़ोल वादकों के अनेक समूह बना कर उनके लिए प्रशिक्षण शिविरों को आयोजित करके उनकी आर्थिकी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होने गढ़वाल में प्रचलित लोक महाभारत के एक हजार पृष्ठों का प्रलेखीकरण करते हुए जर्मनी के प्रो.विलियम एस.सैक्स और प्रो. फैडरिक स्मिथ के साथ गढ़वाली महाभारत का अंग्रेजी अनुवाद कार्य भी सम्पन्न किया। इसके साथ ही उन्होंने गढ़वाल की चैती, बग्ड्वाली गायन विधा, नंदा जागर, पंडवाणी गीतों, जागरों और ढोल के ताल व बोलों का प्रलेखीकरण कार्य भी किया।
वर्ष 2009 में आर.के.यूनिवर्सिटी हेडलबर्ग जर्मनी में प्रो.पुरोहित विजिटिंग प्रोफेसर रहे जहां उन्होने उत्तराखंड के लोक नृत्य व लोक नाट्यों के अध्यापन के साथ “नंदा देवी राजजात” लोक नाट्य का निर्देशन किया। उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें ” बाड़ेन वर्टम्बर्ग फेलो “ की उपाधि से सम्मानित किया गया।
उन्होने उत्तराखंड में प्रचलित महाभारत व रामायण के लोक रंगमंच, मुखौटा नृत्य, भान, जागर गायकों, ढ़ोल वादकों का भी प्रलेखीकरण किया है। वर्ष 2006 में गढ़वाल विश्वविद्यालय में लोक कला व संस्कृति निष्पादन केंद्र की स्थापाना में उनकी मुख्य भूमिका रही और वर्ष 2006 से 2009 तक वे इस विभाग के अध्यक्ष भी रहे। उनके प्रयासों से ही गढ़वाल विश्वविद्यालय में एम.ए.थियेटर व उत्तराखंड के लोकगीत,नृत्य,नाट्य विधाओं पर डिप्लोमा कोर्स का संचालन भी आरंभ हुआ। तीन वर्ष पूर्व गढ़वाल की पृष्ठभूमि पर बनी G.Paskal-je-Vic’s की चर्चित फीचर फिल्म “ Land of Gods “( देवभूमि) में सांस्कृतिक समन्वयक की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वर्ष 2022 में प्रो. पुरोहित को गढ़वाल की लोक संस्कृति के संरक्षण में उनके योगदान के लिए साहित्य अकादमी की ओर से “ साहित्य अकादमी पुरस्कार “ से सम्मानित किया गया। साथ ही उन्हें “गढ़ गौरव “ तथा “ गढ़ रत्न सम्मान‘‘ से भी सम्मानित किया गया है। कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर पुरोहित से उपस्थित श्रोताओं ने सम्बन्धित विषय से जुड़े अनेक सवाल-जबाब भी किये। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी व लेखक ज्योतिष घिल्डियाल ने किया। कार्यक्रम में दून पुस्तकालय एवं शोध संस्थान के गवर्निग बॉडी के सदस्य पूर्व मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन श्री नृप सिंह नपलच्याल ने प्रो.पुरोहित के इस व्याख्यान को महत्वपूर्ण बताया और इस तरह के आयोजनों की प्रासंगिकता पर चर्चा को आवश्यक बताया। कार्यक्रम प्रारम्भ होने से पूर्व दून पुस्तकालय के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने सभागार में उपस्थित लोगों का स्वागत किया और कार्यक्रम के अंत में श्री निकोलस हाॅफलैण्ड ने सभी उपस्थित सज्जनों का धन्यवाद किया।
इस अवसर पर सभागार में कुसुम नौटियाल, मनीष ओली, जगदीश महर, हिमांशु आहूजा, सुरेंद्र सजवाण, कमला पन्त, सुंदर बिष्ट व डॉ.डी एन भटकोटी सहित अनेक साहित्यकार, रंगकर्मी, बुद्विजीवी, संस्कृति व साहित्य प्रेमी के अलावा पुस्तकालय के सदस्य तथा युवा पाठक उपस्थित रहे।