
उत्तराखंड की नदी घाटी सभ्यता और इसके उपयोगकर्ता समुदाय की चुनौतियाँ विषय पर व्याख्यान
दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से आज शाम 5:00 बजे उत्तराखंड की नदी घाटी सभ्यता और इसके उपयोगकर्ता समुदाय की चुनौतियाँ, विषय पर एक व्याख्यान का कार्यक्रम संस्थान के सभागार में किया गया। यह व्याख्यान नदी जल संसाधन और स्थानीय समुदाय को लेकर काम करने वाले विद्या भूषण रावत द्वारा आज शाम को संस्थान के सभागार में दिया गया।
अपने व्याख्यान में, विद्या भूषण रावत ने उत्तराखंड हिमालय की नदी घाटियों के भौगोलिक स्थिति व परिवेश पर विस्तार से जानकारी दी। अपने शोध पड़ताल के विविध सन्र्दभों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि किस तरह से इन घाटियों का उपयोग विभिन्न उपयोगकर्ता समूहों द्वारा समय-समय पर संसाधनों के रूप में किया गया है। वह इस बारे में यह भी बताया कि किस तरह प्रभुत्वशाली समूहों ने पहुंच का अधिकार रखते हुए यहां के प्राकृतिक जल संसाधनों का प्रचुरता से दोहन किया है। एक बेहद असंगत रुप से इनका उपयोग आज भी जारी है। वह बताते हैं कि कैसे विभिन्न उपयोगकर्ता समूहों को विभिन्न तरीकों से बाहर रखा जाता है। विद्या भूषण रावत द्वारा अपने व्याख्यान में विभिन्न धार्मिक-पौराणिक-सामाजिक आख्यानों में चित्रित प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने यह भी बताया कि प्रमुख समूह इन भौगोलिक क्षेत्रों को सांस्कृतिक संसाधनों के रूप में किस तरह जब्त कर लिया जाता है। इस व्याख्यान में उन्होनें गंगा व अन्य नदियों के माध्यम से इसके सांस्कृतिक व पर्यावरणीय महत्व और इनके संरक्षण के वास्तविक अर्थ के बारे में भी बताया। उन्होंने नदी घाटों, तीर्थ स्थानों में बढ़ते प्रदूषण तथा महत्वपूर्ण व खूबसूरत नदी घाटियों का अस्तित्व बड़े बांधों से खत्म कर देने को मानव की सबसे बड़ी भूल बताया। उन्होंने अपना वक्तव्य को स्लाइड शो के जरिये सुस्पष्ट तरीके से प्रस्तुत किया। बाद में कुछ उपस्थित श्रोताओं खासकर युवा वर्ग ने उनसे अहम जबाब-सवाल भी किये। कार्यक्रम से पहले दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने लोगों का स्वागत किया और दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के कार्यक्रमों से स्वैछिक तौर पर जुड़े निकोलस हॉफ़लैंड ने उपस्थित जनों के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में ब्रिगेडियर बहल, डॉ.अतुल शर्मा, बिजू नेगी,कर्नल वी के दुग्गल, डॉ.योगेश धस्माना, पुष्पलता ममगाईं,सुरेंद्र सजवाण,सुंदर सिंह बिष्ट सहित देहरादून के अनेक प्रबुद्वजन, पर्यावरण प्रेमी,साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और पुस्तकालय में अध्ययनरत अनेक युवा सदस्य भी उपस्थित रहे।
विद्या भूषण रावत एक परिचय
विद्या भूषण रावत एक लेखक, व मानवतावादी हैं। इनके पास मुशहर जैसी सबसे हाशिये पर जीवन यापन करनेे वाले समुदायों तथा अन्य मैला ढोने के काम में लगे समुदायों के साथ काम करने का 30 वर्षों का व्यापक अनुभव है। उन्होंने भारत और विदेशों में अग्रणी अंबेडकरवादियों के साथ गहन बातचीत के माध्यम से अंबेडकरवादी आंदोलन के मौखिक इतिहास का दस्तावेजीकरण का काम किया है। उन्होंने 25 वर्षों तक उत्तराखंड के तराल क्षेत्र में लैंड सेलिंग एक्ट के मुद्दे पर भी अकेले ही लड़ाई लड़ी
वर्तमान में वे विभिन्न जनहित याचिकाओं के माध्यम से वह उत्तराखंड के साथ-साथ शेष भारत में गंगा घाटी सभ्यता पर एक अध्ययन कर रहे हैं।
विद्या भूषण रावत को 2016 में अंबेडकर एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अंबेडकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें 2011 में ओस्लो नॉर्वे में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी और नैतिक संघ, लंदन द्वारा मानवतावाद के लिए विशेष पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने भारत और विदेश दोनों में व्यापक रूप से यात्रा करने के साथ ही मानवाधिकार, भूमि अधिकार, खाद्य सुरक्षा, जातिगत भेदभाव सहित विभिन्न मुद्दों को उठाया है। उनका जन्म गढ़वाल के कोटद्वार व लैंसडाउन के मध्य बसे एक छोटे से ऐतिहासिक व व्यापारिक कस्बे दुगड्डा में हुआ ।