लेने हैंडबर्ग द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘ ल्यूसिड ड्रीम विजडम’ का लोकार्पण

लेने हैंडबर्ग द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘ ल्यूसिड ड्रीम विजडम’ का लोकार्पण

शनिवार 14 जनवरी,2023 को तराब लिंग एसोसिएशन द्वारा ‘ल्यूसिड ड्रीम विजडम’ नामक पुस्तक का लोकार्पण कार्यक्रम होटल इंद्रलोक देहरादून में किया गया। पुस्तक की लेखिका सुश्री लेने हनबर्ग एक डेनिश तिब्बती बौद्ध विद्वान हैं और ताराब लिंग संस्थान की सह-संस्थापक भी हैं। तराब लिंग की स्थापना तराब रिनपोछे के आदर्शों पर की गई है जो एक तिब्बती अध्यापक थे । तराब रिनपोछे एक निपुण गुरु और स्वप्न योगी थे। सुश्री लेने हनबर्ग ने ताराब रिनपोछे के साथ एक सहकर्मी के रूप में काम किया है और साथ ही उनकी शिष्या भी रह चुकी हैं। पुस्तक एक संदर्भ के रूप में मूल बौद्ध दर्शन की संगणना करती है और फिर एक आवश्यक योग अभ्यास के रूप में स्वप्न योग की अवधारणा पर जोर देती है।
पुस्तक लोकार्पण के बाद पुस्तक के संदर्भ में एक परिचर्चा भी हुई। इसमें सुश्री माधविलथा मगंती( अशोक विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान की प्रोफेसर) ,सुश्री जेनेवीव हेमलेट एक तिब्बती विद्वान सुश्री ओल्गा एक वकील और स्पेन की तिब्बती विद्वान शामिल रहीं। सत्र की अध्यक्षता श्री एसएस पांगती (सेवानिवृत्त आईएएस) द्वारा की गयी।
अपने वक्तव्य में सुश्री लेने ने कहा कि स्वप्न योग योग और ध्यान मंडलियों के बीच शायद ही कभी जाना जाता है, लेकिन स्वप्न अवस्था ध्यान की एक अत्यधिक गहन और गहरी अवस्था है जहाँ अक्सर स्वयं के अवतार का एहसास होता है। आंतरिक विज्ञान केवल एक अवधारणा नहीं है बल्कि वह आंतरिक उपस्थिति को समझने का एक तरीका भी है। सुश्री माधविलथा ने कहा कि अशोक विश्वविद्यालय में अब इन पद्धतियों का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य उपचार के नए तरीके खोजने के लिए किया जा रहा है, आज की दुनिया में मनुष्य इतना तनावग्रस्त है कि वह अपने भीतर के आत्म से जुड़ नहीं पा रहा है जो आसानी से उसे इस ओर ले जा है। पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में ताराब लिंग संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के साथ-साथ अन्य कई रुचिवान प्रबुद्ध जन भी उपस्थित रहे। यह पुस्तक अमेज़न इंडिया पर उपलब्ध है।
इस कार्यक्रम का संचालन सुश्री बिनीता शाह ने किया। पारिचर्चा में उपस्थित लोगों ने सवाल-जबाब भी किये। कार्यक्रम के समापन पर नोर्बु वांगचुक ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर पूर्वमुख्य सचिव, उत्तराखंड शासन, श्री एन. एस. नपलच्याल, श्रीमती विभापुरी दास, सुश्री मंजरी मेहता, चन्द्रशेखर तिवारी और श्री सुंदर सिंह बिष्ट भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के आयोजन में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र देहरादून का सहयोग रहा।