डिजिटल क्रान्ति : स्मार्ट सरकारी पुस्तकालयों के विकास की ओर अग्रसर विषय पर त्रि-दिवसीय सम्मेलन

डिजिटल क्रान्ति : स्मार्ट सरकारी पुस्तकालयों के विकास की ओर अग्रसर विषय पर त्रि-दिवसीय सम्मेलन

देहरादून,26 फरवरी,2023। सैन्ट्रल गर्वन्मेंट लाइब्रेरी एसोसिएशन की ओर से दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के सहयोग से आयोजित चतुर्थ अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन आज दून पुस्तकालय के सभागार में आरम्भ हो गया है। 24 से 26 फरवरी, 2023 तक चलने वाले इस सम्मेलन का विषय डिजिटल क्रान्ति : स्मार्ट सरकारी पुस्तकालयों के विकास की ओर अग्रसर निर्धारित किया है। जिसके कुछ उप विषय भी रखे गये हैं यथा डिजिटल लाईब्रेरी सेवाएं, डिजिटल साक्षरता, पोस्ट कोविड युग के बाद पुस्तकालय, डिजिटल युग में प्च्त् के मुददे, भविष्य के लिए दस्तावेजों का डिजिटलीकरण, रिसोर्स शेयरिंग एवं नेटवर्किंग, दस्तावेजों का उपचारात्मक संरक्षण एवं बहु भाषीय सूचना पुनःप्राप्ति इत्यादि। 24 फरवरी को सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व मुख्य सचिव उत्तराखण्ड शासन श्री सुरजीत किशोर दास तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर श्री एन.एस.नपलच्याल उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जलन से हुआ। अतिथियों का स्वागत सी.जी.एल.ए के अध्यक्ष श्री रमेश गोयल ने किया। अपने उद्बोधन में श्री नपलच्याल ने कहा सैन्ट्रल गर्वन्मेंट लाइब्रेरी एसोसिएशन की ओर से पुस्तकालय विज्ञान से जुड़े पुस्तकालयाध्यक्षों, विषय विशेषज्ञों तथा पुस्तकालय कार्मियों के विर्मश के लिए सार्थक पहल की है। यह हर्ष का विषय है की देहरादून शहर तथा नैनीताल, मसूरी, अल्मोड़ा सहित राज्य के अन्य जगहों में कई पुस्तकालय संस्थायें तथा नगर निकाय के पुस्तकालय चल रहे है। इस संदर्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विगत 16 सालों से परेड़ ग्राउड स्थित छोटे भवन से प्रारम्भ होकर इस पुस्तकालय ने वर्तमान में अपने नवनिर्मित भवन में विस्तार पा लिया है जो देहरादून शहर और प्रदेश के पुस्तक प्रेमियों, पाठकों तथा अध्यताओं के लिए बड़ी उपलब्धि के रूप में सामने आया है।

मुख्य अतिथि के वक्तव्य के तौर पर श्री सुरजीत किशोर दास ने दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र का परिचय देते हुए इसकी ऐतिहासिक विकासगाथा पर सम्मयक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्तमान में इस संस्थान के पुस्तकालय में हिमालयी खाश तौर पर उत्तराखण्ड के सामाजिक विज्ञान विषयक तकरीबन 35 हजार पुस्तके संकलित हैं। इसके साथ ही साहित्यिक, कलात्मक व सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पुस्तक लोकार्पण, परिचर्चा, प्रदर्शनी तथा संगोष्ठियों आदि का आयोजन समयसमय पर किया जाता रहता है। इस पुस्तकालय में अनेक नामचीन लेखकों व साहित्यकारों की पुस्तकें भी संग्रहित है। श्री दास ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि सैन्ट्रल गर्वन्मेंट लाइब्रेरी एसोसिएशन के इस तीन दिनों के सम्मेलन में विभिन्न पुस्तकालय विशेषज्ञों की ओर से किये गये विमर्श के महत्वपूर्ण सुझाव व निष्कर्ष आधुनिक पुस्तकालय विज्ञान के विकास में उपयोगी साबित होंगे।

दूसरे सत्रों के दौरान विभिन्न प्रतिभागियों पुस्तकालय विशेषज्ञों द्वारा डिजिटल, तकनिकी, बेब तकनिकी, सूचना संचार, कम्प्यूटर विषय से संबधित तथा ब्रेन लिपि के अलावा कुछ कम्पनियों द्वारा उत्पाद की विशेषताओं पर शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। इनमें हिमालयन यूर्निवसिटी जोलीग्राट के पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. योगेन्द्रर सिंह, तथा अमन वर्मा, रिचा आर्या व बबिता जायसवाल तथा डॉ. राजाराम भट्ट, अंक्षिता सचदेवा, डॉ. शिजित कुमार सी., विकरेश्वरी डंगवाल भट्ट तथा मालविका किशोर ने अपने शोध पत्र पढ़े। इसी सत्र में आस्ट्रेलिया की डॉ. हीदर ब्राउन ने विडियों कॉन्फ्रेस के माध्यम से अपना प्रस्तुतिकरण दिया।

उद्घाटन सत्र के समापन में सम्मेलन की अध्यक्ष सुश्री सी.के.मामिक ने अतिथियों तथा सभागार में उपस्थित प्रतिभागियों व सदस्यों का धन्यवाद दिया और इस सत्र का संचालन श्री डी.के. पाण्डे ने किया। इस दौरान सी.जी.एल. व दून पुस्तकालय के अनेक सदस्य व प्रतिभागीगण उपस्थित थे।

सम्मेलन के दूसरे दिन 25 फरवरी को पुस्तकालय विज्ञान से जुड़े पुस्तकालयाध्यक्ष तथा विशेषज्ञो ने कई शोध पत्र प्रस्तुत किये। डिजिटल लैंडस्केप में ईसंसाधन प्रबंधन, सूचना साक्षरता, पहुंच और प्रबंधन, अनुसंधान और प्रकाशन में वर्तमान रुझान, मानव संसाधन प्रबंधन और डिजिटल पर्यावरण में पढ़ना जैसे विषयों पर पांच तकनीकी सत्र आयोजित किये गये। आज के पहले सत्र में डॉ ए के सुमन ने डिजिटल लाइब्रेरी की योजना और प्रबंधनः चुनौतियां और अवसर विषय के बारे में चर्चा की। अन्य दो प्रतिभागियों ने कोविड-19 के दौरान इंजीनियरिंग छात्रों द्वारा डिजिटल्स अर्थ कंसोर्टियम और वेब सर्चिंग और ईसंसाधनों तक दूरस्थ पहुंच के सन्दर्भ में शोध पत्र प्रस्तुत किये गए।

द्वितीय सत्र में अध्यक्ष श्री मुकेश कुमार एवं सह अध्यक्ष श्री आर के गोयल थे। इस सत्र में डिजिटल युग में सूचना साक्षरता के बारे में दो प्रतिभागियों ने शोधपत्र प्रस्तुत किये।

श्रीलंका से आमंत्रित अंतर्राष्ट्रीय वक्ता डॉ. टी. प्रथेपीपन और बांग्लादेश के आमंत्रित वक्ता डॉ. मो. अज़ीज़ुर रहमान सहित भारत के तीन अन्य आमंत्रित वक्ताओं ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं ने वैज्ञानिक प्रकाशन की उभरती भूमिका और अनुसंधान और विशेष रूप से उच्च शिक्षा के लिए उपयोगी इलेक्ट्रॉनिक सूचना स्रोतों को बढ़ावा देने में लाइब्रेरियन की भूमिका पर व्याख्यान दिया। कुल आठ शोध पत्र पढे गये। जिनमें ईसंसाधनों के प्रबंधन, कंसोर्टियम, सूचना पुनर्प्राप्ति, बौद्धिक संपदा अधिकार, पढ़ने की आदत, पुस्तकालय/ 2047, आदि जैसे पुस्तकालय पेशे से संबंधित विभिन्न समकालीन और ज्वलंत मुद्दों के बारे में चर्चा की गई। एक पैनल परिचर्चा जिसका विषय “एक राष्ट्र, एक सदस्यता“ पर आयोजित की गई गई थी। पैनल चर्चा में, डॉ. एस.के. सेनापति वक्ता थे तथा अन्य पैनलिस्ट श्री डी. के. पांडे, डॉ. .के. सुमन, श्रीमती सुनीता अग्रवाल, श्री राजेंद्र सिंह बिष्ट, श्री कुमार संजय, और डॉ. पार्थ सारथी दास थे। आज के विभिन्न सत्रों के दौरान दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र तथा सेन्ट्रल गर्वन्मेंट लाइब्रेरी एसोसिएशन के पदाधिकारी तथा विभिन्न संस्थानों के पुस्तकालय विज्ञान से जुड़े प्रतिभागीगण उपस्थित थे।

तीसरे दिन समापन दिवस पर अनेक पुस्तकालय विज्ञान से जुड़े लोगों तथा विषेषज्ञो ने कई शोध पत्र प्रस्तुत किये। डिजिटल प्रबंधन, सूचना, प्रबंधन, अनुसंधान और प्रकाशन से जुड़े सात तकनीकी सत्र ओयाजित किये गये।

26 फरवरी को समापन सत्र पर मुख्य अतिथि के रूप में श्री इन्दु कुमार पाण्डे पूर्व मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन उपस्थित थे। उपस्थित प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए श्री पाण्डे ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि सेन्ट्रल गर्वन्मेंट लाइब्रेरी एसोसिएशन द्वारा दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के सहयोग से स्मार्ट डिजिटल पुस्तकालय के संदर्भ में इस सम्मेलन में विस्तृत चर्चा की गयी है। आषा की जानी चाहिए कि चर्चा से प्राप्त निष्कर्षो का उपयोग पुस्तकालय के विकास में सतत रूप से हो सकेगा। इस दिषा में डिजिटल और आधुनिक संचार तकनीक से जुड़े पुस्तकालय विषेषज्ञों की महत्वपूर्ण भूमिका है। श्री पाण्डे का मानना था कि किसी भी नई तकनीक का उपयोग शनै:-शनै: चरणबद्व तरीके से किया जाना कहीं अधिक उपयोगी साबित हो सकता है। अन्यथा उसके सुचारू तौर पर उपयोग में कई तरह की कठिनाइयां आने की संभावनाएं रह सकती है। अंत में इन्दु कुमार पाण्डे ने इस सम्मेलन के सफल होने पर आयोजकों को बधाई दी।

इस मौके पर सी.बी.आर.आई. रूड़की के मुख्य तकनीकी अधिकारी डॉ. एस.के. सेनापति, सी.जी.एल.ए के अध्यक्ष रमेश गोयल भी मंच पर उपस्थित थे। आयोजक सचिव जे.बी.गोयल ने मंचासीन अतिथियों, प्रतिभागियों व आयोजकों का आभार व्यक्त किया। इस दौरान पूर्व पुस्तकालयाध्यक्ष आर.के.सूद, राजन गुप्ता, सुश्री सी.के.मामिक, मनीष तथा दून पुस्तकालय से जगदीश सिंह महर, सहित पुस्तकालयों से जुड़े अनेक लोग उपस्थित थे। महासचिव डी.के.पाण्डे ने कार्यक्रम का संचालन किया।