फ्रीडम स्ट्रगल एंड बियोंड पुस्तक पर चर्चा का आयोजन
देहरादून, 9 सितम्बर,2024 । दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से आज सायं कैप्टन प्रवीन डावर की पुस्तक फ्रीडम स्ट्रगल एंड बियोंड पर एक महत्वपूर्ण चर्चा का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में चर्चाकार के के तौर पर लेफ्टिनेंट जनरल जमीर उद्दीन शाह (से.नि),संजीव चोपड़ा,आइएएस,अनिल नौरिया व अरविंदर सिंह ने भाग लिया। चर्चा का संचालन पार्थ चटर्जी ने किया। श्री निकोलस ने अतिथियों का परिचय व स्वागत किया।
दून पुस्तकालय की ओर से पुस्तक लोकार्पण, वाचन और चर्चा, संगीत, फीचर और वृत्तचित्र फिल्म, लोक परंपराएं और लोक कलाएं, इतिहास, पत्रकारिता और मीडिया; पर्यावरण और सामाजिक विज्ञान पर आधारित कार्यक्रमों की श्रंखला के क्रम में आज चर्चा का यह कार्यक्रम किया गया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और उसके आगे, स्वतंत्रता आंदोलन और आधुनिक भारत के निर्माण से संदर्भित अनेक महत्वपूर्ण पक्ष जो इस पुस्तक में शामिल हैं उनपर चर्चाकारों ने विस्तार के साथ बात की और लेखक से सवाल भी किये।
प्रवीण डावर की पुस्तक स्वतंत्रता संग्राम और उसके आगे, स्वतंत्रता आंदोलन और आधुनिक भारत के निर्माण पर विभिन्न राष्ट्रीय दैनिकों द्वारा प्रकाशित लेखों का एक संग्रह है।यह पुस्तक भारत के स्वतंत्रता संग्राम और आधुनिक भारत के निर्माण का एक प्रेरक विवरण है। इसमें स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों और आधुनिक भारत के निर्माताओं के विचारों को समाहित किया गया है जो अत्यंत प्रेरक होने के साथ-साथ आधुनिक इतिहास के विद्वानों और छात्रों के लिए अत्यधिक मूल्यवान हैं। उत्तरार्द्ध भाग में स्वतंत्रता के बाद 1971 तक भारत द्वारा लड़े गए सभी युद्धों को शामिल किया गया है जो उपमहाद्वीप के इतिहास और भारत के श्सर्वाेत्तम समय का एक गौरवशाली अध्याय है।
यह स्वतंत्रता आंदोलन के दिग्गजों के बारे में बताने वाले निबंधों का सबसे जानकारीपूर्ण संग्रह है। लेखों में स्वतंत्रता के बाद के प्रमुख राष्ट्र-निर्माताओं के संक्षिप्त जीवनवृत्त शामिल हैं। इसमें जलियांवाला बाग में क्रूर नरसंहार, नमक सत्याग्रह, अस्पृश्यता का उन्मूलन और विभाजन जैसी जीवन-परिवर्तनकारी घटनाएं भी शामिल हैं। इस प्रकार, प्रकाशन न केवल व्यापक है, यह स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्र भारत के सौ वर्षों को आम पाठक, नई पीढ़ी और आम जनता के लिए सुलभ बनाता है। तथ्यों को सावधानीपूर्वक संकलित किया गया है, और कालानुक्रमिक प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए तारीखें स्पष्ट रूप से प्रदान की गई हैं। वक्ताओं ने इस पुस्तक को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में इतिहास विषय के वैकल्पिक पठन पाठन में उपयोगी बनाने जाने का भी सुझाव दिया।
इस अवसर पर सभागार में बिजू नेगी, देवेंद्र कुमार, चन्द्रशेखर तिवारी, अतुल शर्मा, सुंदर सिंह बिष्ट,सोमेश्वर पांडे, शहर के प्रबुद्ध लोग, पाठक, लेखक, साहित्यकार व आम लोग उपस्थित रहे।